Uttarakhand News: नीलकंठ मार्ग स्थित खैरखाल क्षेत्र में निजी भूमि पर रिजॉर्ट निर्माण के लिए संरक्षित प्रजाति के पेड़ों के अवैध कटान का गंभीर मामला सामने आया है. इस प्रकरण में वन विभाग ने कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे पीयूष अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. वन विभाग की जांच के अनुसार, खैरखाल में कुल 26 पेड़ काटे गए हैं, जिनमें 24 पेड़ छूट प्रजाति के और दो संरक्षित प्रजाति के खैर के पेड़ शामिल हैं. लालढांग रेंज के अधिकारियों ने इन दो संरक्षित पेड़ों की अवैध कटान को लेकर प्राथमिकी दर्ज की है. डीएफओ आकाश गंगवार ने पुष्टि की कि इस मामले में कार्रवाई जारी है.
वन विभाग के अनुसार, संरक्षित प्रजाति के पेड़ों की कटान बिना किसी अनुमति के की गई. स्थानीय ग्रामीणों और अधिकारियों ने बताया कि इस भूमि पर जेसीबी मशीन का उपयोग करते हुए कई दिनों तक कार्य होता रहा. यहां तक कि सड़क निर्माण के लिए भी बिना अनुमति के कटाई की गई. राजस्व विभाग के उपनिरीक्षक ने तीन बार मौके पर पहुंचकर काम रुकवाने का प्रयास किया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. स्थानीय ग्रामीणों ने इस मामले में प्रशासन पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि संबंधित भूमि रसूखदार व्यक्ति की होने के कारण तहसील प्रशासन ने कभी सख्त कदम नहीं उठाए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कार्य में बाधा डालने के बावजूद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई.
संरक्षित प्रजाति के पेड़ों की कटान का मामला गंभीर
डीएफओ आकाश गंगवार ने स्पष्ट किया कि, संरक्षित प्रजाति के दो पेड़ों की कटान का मामला गंभीर है. "पेड़ों की गणना कर भूस्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. कार्रवाई गतिमान है और नियमानुसार आगे की प्रक्रिया पूरी की जा रही है." इधर, आरोपी पीयूष अग्रवाल ने वन विभाग के दावों को खारिज करते हुए अपनी सफाई पेश की. उन्होंने कहा, "हमें डीएफओ से कटान की अनुमति लेने के लिए कहा गया था. हमें बताया गया कि प्रक्रिया में बदलाव किया गया है और पहले तहसीलदार व पटवारी की रिपोर्ट अनिवार्य है. हमने दोनों अधिकारियों से अनुमति ली, जिसकी रिपोर्ट हमारे पास है."उन्होंने आगे कहा, "पटवारी ने मौके पर जाकर जांच की और रिपोर्ट भेज दी थी. मुझे नहीं लगता कि कोई अवैध कार्य हुआ है. अगर ऐसा कुछ हुआ भी होगा, तो नियमानुसार जुर्माना भरा जाएगा."
प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
इस प्रकरण ने प्रशासन की निष्क्रियता और रसूखदार व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति पर भी सवाल खड़े किए हैं. ग्रामीणों के आरोप और राजस्व विभाग के हस्तक्षेप के बावजूद, अवैध कटान को रोका नहीं जा सका. यह घटना न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों को भी रेखांकित करती है. वन विभाग ने भूस्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है. इस घटना ने पर्यावरण संरक्षण और कानून व्यवस्था को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है.
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