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वो भूले-बिसरे गाने, जो दिलाते हैं ऋषि की याद
ऋषि कपूर के चले जाने के बाद भी उनके हमेशा जीवित रहने का एक बड़ा कारण उन पर बनी फिल्में और गाने हैं।
ऋषि कपूर के चले जाने के बाद भी उनके हमेशा जीवित रहने का एक बड़ा कारण उन पर बनी फिल्में और गाने हैं। बॉलीवुड में सत्तर और अस्सी के दशक में अभिनेता की स्टारडम उनकी प्रेमी छवि की थी। वहीं उनके फिल्मों के गाने भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं।
हीरो के रूप में ऋषि की लॉन्चिंग 1973 में राज कपूर की 'बॉबी' से हुई थी। इस फिल्म का गाना 'तू मायके मत जइयो' और 'मैं शायर तो नहीं' जैसे गीत हमेशा स्क्रीन पर उनके रोमांस की याद दिलाता रहेगा। इनके बाद ऋषि फिल्म 'सरगम' के डफली-वाले और 'अमर अकबर एंथनी' में काबिल कव्वाल अकबर के रूप में छाए रहे। ऋषि की सबसे प्रमुख हिट गानों में सुभाष घई की 'कर्ज़' के भी कई गीत शामिल हैं। इनमें 'एक हसीना थी', 'ओम शांति ओम', 'दर्द-ए-दिल' या 'मैं सोलह बरस की' शामिल है और ये सारे गाने सुपरहिट रहे। अपने संस्मरण 'खुल्लम खुल्ला' में, उन्होंने लिखा था, "हालांकि, मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि मैं इनमें से कुछ चार्टबस्टर्स के लिए अपनी शुरुआती प्रतिक्रियाओं में अक्सर निराशाजनक रहा, जो काफी गलत था। मुझे याद है कि 'कर्ज' के गाने 'ओम शांति ओम' की रिकॉडिर्ंग के लिए बोनी कपूर मुझसे काफी उत्साह के साथ मिलने आ रहे थे। गाने के कंपोजर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और निर्देशक सुभाष घई परिणाम से काफी खुश थे और उन्होंने उसे पंचगनी भेजा था, जहां मैं शूटिंग कर रहा था। मैंने बोनी को जबरदस्त डांट लगाई थी कि यह कितना घटिया गाना है और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल मेरे लिए ऐसा गाना कैसे बना सकते हैं। पिछले साल न्यूयॉर्क में ल्यूकेमिया के इलाज के दौरान ऋषि एक बार सैलून गए थे, तभी एक रूसी प्रशंसक ने उन्हें देखते ही पहचान लिया और उनका प्रसिद्ध गाना 'मैं शायर तो नहीं' बजाया। ऋषि ने अपने ट्विटर से उस प्रशंसक का एक वीडियो भी साझा किया था। वहीं फिल्म 'खेल खेल में' उनका और उनकी पत्नी नीतू कपूर के लोकप्रिय गाने 'खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे' को आरडी बर्मन ने कंपोज्ड किया था, जिसे आशा भोसले और किशोर कुमार ने गाया था। दशकों बाद भी लोग इन गानों को गुनगुनाते हैं। वहीं उनके बेटे रणबीर कपूर ने साल 2008 में आई फिल्म 'बचना ऐ हसीनों' के लिए अपने पिता के प्रसिद्ध गाने 'बचना ऐ हसीनों' को रीक्रिएट किया था। ऋषि कपूर के गानों को सर्वश्रेष्ठता के अनुसार सूचीबद्ध करना मुश्किल है, हालांकि आईएएनएस ने उनके कुछ गानों की सूची बनाई है, जिसे हर कोई गुनगुनाना चाहेगा। हम तुम एक कमरे में बंद हो (बॉबी, 1973), ओम शांति ओम (कर्ज, 1980), खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे (खेल खेल में, 1975), दर्द-ए-दिल (कर्ज़, 1980), चांदनी ओ मेरी चांदनी (चांदनी, 1989), बचना ऐ हसीनों (हम किसी से कम नहीं, 1977), मैं शायर तो नहीं (बॉबी, 1973), तेरे मेरे होंठो पे (चांदनी, 1989), चेहरा है या चांद खिला है (सागर, 1985), डफली वाले डफली बजा (सरगम, 1979)।
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प्रदीप डबासवरिष्ठ पत्रकार
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