'मैं झुक जाता तो मसला हल हो जाता', बृज भूषण शरण सिंह ने मंच पर कविता और शायरी से बयां किया दर्द
Brij Bhushan Sharan Singh News: इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के कन्वेंशन सेंटर में महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद जब वह बोलने के लिए उठे तो सबसे पहले WFI के अध्यक्ष संजय सिंह का हाथ थाम कर एक शायरी सुनाई.
UP News: बीजेपी के पूर्व बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह शनिवार (19 अक्तूबर) को संगम नगरी प्रयागराज में अलग ही अंदाज में नजर आए. कुश्ती और राजनीति को पीछे छोड़कर वह यहां कभी शायरी तो कभी कविता पढ़ते दिखाई दिए. इतने पर भी दिल नहीं भरा तो उन्होंने अवधी भाषा में कई गीत भी सुनाए. बृजभूषण शरण सिंह ने शायरी के जरिए मौजूदा हालात को लेकर अपना दर्द बयां किया तो कविता के माध्यम से तंज कसने का काम किया. हालांकि माइक पकड़कर किसी मंझे हुए गायक की तरह उन्होंने एक के बाद एक कई गीत सुना कर महफिल भी लूट ली.
बृजभूषण शरण सिंह का इस तरह का अनूठा अंदाज इससे पहले शायद ही कहीं देखने को मिला हो. त्रिवेणी के शहर में उन्होंने शायरी कविता और गायकी की अनूठी त्रिवेणी पेश कर लोगों का दिल जीत लिया. दरअसल प्रयागराज में आज चौथे अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का आयोजन किया गया था. पूर्व सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बृजभूषण शरण सिंह इसी महोत्सव का उद्घाटन करने के लिए प्रयागराज आए हुए थे.
मैं झुक जाता तो मसला हल हो जाता, लेकिन मेरे किरदार का कत्ल हो जाता
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के कन्वेंशन सेंटर में महोत्सव का उद्घाटन करने के बाद जब वह बोलने के लिए उठे तो सबसे पहले कुश्ती संघ के मौजूदा अध्यक्ष संजय सिंह का हाथ थाम कर एक शायरी सुनाई. उन्होंने कहा कि मैं झुक जाता तो मसला हल हो जाता, लेकिन मेरे किरदार का कत्ल हो जाता. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया एक तरफ थी और हम अकेले एक तरफ थे. बृजभूषण शरण सिंह ने इसके बाद एक कविता सुनाई जिसका शीर्षक था प्यासी जमीन थी और लहू सारा पिला दिया. मुझ पर वतन का कर्ज था, जिसे मैंने चुका दिया. बृजभूषण शरण सिंह ने इसके बाद कई गीत भी पेश किए. हालांकि इन अवधी गीतों में मस्ती और भक्ति के साथ कई संदेश भी छिपे हुए थे.
बृजभूषण शरण सिंह की शायरी कविता और गीतों को सुनकर पूरी महफ़िल वाह-वाह करती रही. शेर ओ शायरी, कविता और गीतों का ऐसा दौर चला की बृजभूषण सिंह पूरे वक्त इसे ही सुनते रहे और उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया. बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कुछ सवालों के जवाब जरूर दिए लेकिन शायरी और कविता में छिपे दर्द पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.
राजनीति में मुझे अब कुछ पाने की चाह नहीं
हालांकि मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने मशहूर कवि माखनलाल चतुर्वेदी की कविता चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं को सुनाया. उन्होंने कहा कि राजनीति में मुझे अब कुछ पाने की चाह नहीं है. भगवान ने जो भूमिका निर्धारित की होगी, वही होगा. बृजभूषण शरण सिंह के इस अनूठे अंदाज को लेकर खूब चर्चा भी हो रही है.
दबंगों ने ढ़हाया आशियाना तो युवक की हार्ट अटैक से मौत, शव लेकर डीएम ऑफिस पहुंच गए परिजन