उत्तर प्रदेश में आगमी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल चरम पर है. वहीं अब इस बीच बीएसपी के पूर्व नेता विधानमंडल दल के लालजी वर्मा ने रामगोविंद चौधरी से मुलाकात की है. बता दें, रामगोविंद चौधरी नेता विरोधी दल के हैं.


लालजी वर्मा ने अपनी इस मुलाकात के बारे में बताते हुए कहा कि, मैं बीएसपी में नेता था तब भी उनसे मिलता था आज भी उनसे मिला. अभी हमने कोई फैसला नहीं किया है. राम अचल राजभर जी और हम एक साथ हैं और समय आने पर फैसला करेंगे. उन्होंने बताया कि, हमने दो ढाई महीने तक इंतजार किया और इस बीच हम लोगों को बहन जी की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला. बीएसपी का रास्ता हमारे लिए बंद है.


अखिलेश यादव के साथ जाने पर कहा कि अभी निर्णय नहीं है तो क्या बताएं


लालजी वर्मा ने आगे कहा कि, हम लोगों के साथ जो बातें हुई हैं हम आज तक नहीं समझ पाए कि हमें किन कारण से पार्टी से निकाला गया. उस कारण के लिए जो लोग ज्यादा जिम्मेदार थे वह आज भी पार्टी में बने हुए हैं. हमने पार्टी के विरोध में कोई काम नहीं किया और मैं अस्पताल में था मेरे ऊपर आरोप चस्पा नहीं होता मुझे जहां तक लगता है.


उन्होंने आगे कहा कि, हमारे जिले में घनश्याम खरवार जो कोऑर्डिनेटर हैं और रितेश पांडे जो लोकसभा में नेता हैं इन दोनों लोगों की जो जोड़ी है उन लोगों ने हम से भयभीत होकर क्योंकि हम रहेंगे तो उनकी उतनी नहीं चलेगी. आम जनता का प्यार हमारे साथ बना हुआ है इसलिए उन दोनों नेताओं ने हमसे भयभीत होकर बहन जी तक कुछ गलत सूचना दी जिसके कारण हम निष्कासित हुए.


उपेक्षित समाज को सत्ता में हिस्सेदारी दी जाने से बीएसपी की स्थापनी हुई थी- लालजी वर्मा


बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन पर कहा कि बीएसपी के साथ ब्राह्मण बिल्कुल नहीं आएगा हमारा मानना है. बहुजन समाज पार्टी की स्थापना मान्यवर कांशी राम और बहन जी ने की थी तब एक ही उद्देश्य था कि उपेक्षित समाज को सत्ता में हिस्सेदारी दी जाए. आज उसकी परिभाषा अगर बदल के कुछ भी कर दें तो इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है बल्कि इससे मूल वोटर बीएसपी का नाराज होगा.


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