नई दिल्ली, एबीपी गंगा। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन अब इस दुनिया में नहीं रहे। 87 साल की उम्र में रविवार रात को उनका चेन्नई में निधन हो गया। 1990 से 1996 तक शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त रहे थे। चुनाव आयोग को अलग पहचान देने वाले शेषन पर कांग्रेसी होने का ठप्पा लगा था, लेकिन कांग्रेस खुद उनके फैसलों से परेशान रहती थी। अक्सर शेषन मजाक में कहा करते थे कि मैं तो नाश्ते में राजनीतिज्ञों को खाता हूं।


शेषन के चुनाव आयुक्त बनने की कहानी काफी रोचक है। ये बात दिसंबर 1990 की है, वो भी देर रात करीब एक बजे की। उस वक्त तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी देर रात शेषन के घर पहुंचे हैं और उनसे पूछते हैं कि क्या आप अलगा मुख्य चुनाव आयुक्त बनना पसंद करेंगे? इसके लिए स्वामी ने उन्हें करीब 2 घंटे तक मनाया, लेकिन वो नहीं माने। आखिर में राजीव गांधी से मिलने शेषन में मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की पेशकश पर सहमति जताई।


आपको बता दें कि वो शेषन ही थे, जिन्होंने उम्मीदवारों के खर्च पर लगाम लगाने से लेकर सरकारी हेलिकॉप्टर से चुनाव प्रचार पर रोक लगाने जैसे फैसले लिए थे। उन्होंने ही दीवारों पर नारे, लाउडस्पीकरों से शोर, पोस्टर चिपकाना, प्रचार के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले भाषणों पर सख्ती की थी। शेषन ने ही पूर्व मंत्री अर्जुन सिंह को ये याद दिलाया था कि चुनाव की तारीख मंत्रिगण नहीं, बल्कि चुनाव आयोग तय करता है। दरअसल, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान में बीजेपी सरकारों को भंग करने के बाद अर्जुन सिंह ने कहा था कि यहां अब सालभर बाद चुनाव होंगे। जिसपर शेषन ने कहा कि चुनाव की तारीख चुनाव आयोग तय करता है, न की नेता।


शेषन से जुड़ा अतीत का एक किस्सा राजीव गांधी के मुंह से बिस्किट खींच लेने वाला भी है। उस वक्त शेषन कैबिनेट सचिव थे, उन्होंने तब राजीव गांधी के मुंह से बिस्किट ये कहते हुए खींच लिया था कि प्रधानमंत्री को वो चीज नहीं खानी चाहिए, जिसका पहले परीक्षण न किया गया हो।


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