नई दिल्ली,एबीपी गंगा। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर नेता शीला दीक्षित पंचतत्व में विलीन हो हुई। दिल्ली स्थित निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। जहां CNG से चलने वाले शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। गृहमंत्री अमित शाह समेत कांग्रेस के कद्दावर नेता उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ। इससे पहले उनका पार्थिव शव कांग्रेस मुख्यालय लाया गया। जहां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं और राजधानी को आधुनिक रूप देने वाली वरिष्ठ कांग्रेस नेता का दिल का दौरा पड़ने के बाद यहां एक निजी अस्पताल में शनिवार दोपहर निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को जब निजामुद्दीन स्थित उनके आवास से पार्टी मुख्यालय लाया गया तो उनकी आखिरी झलक पाने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच धक्का मुक्की होने लगी। कांच के ताबूत में उनका पार्थिव शरीर लेकर आ रहा ट्रक सड़क पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था क्योंकि सड़क समर्थकों से भरी पड़ी थी जो ‘जब तक सूरज चांद रहेगा शीला जी का नाम रहेगा’ के नारे लगा रहे थे।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अहमद पटेल और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा कमलनाथ समेत कई शीर्ष कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस कार्यालय में दीक्षित को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, दीक्षित के आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
बतादें कि शीला दीक्षित का शनिवार दोपहर को निधन हो गया। वह 81 साल की थीं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं और उन्हें शुक्रवार की सुबह सीने में जकड़न की शिकायत के बाद फोर्टिस-एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने दोपहर तीन बजकर 55 मिनट पर अंतिम सांस ली।
शीला का सियासी सफर
कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ। उन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की। इनका विवाह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, उमाशंकर दीक्षित के परिवार में हुआ। इनके पति विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे थे।
शीला दीक्षित कुशल राजनेता थीं। उन्हें प्रशासनिक व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव रहा। वे केन्द्र सरकार में 1986 से 1989 तक मंत्री रहीं। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, फिर वे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। 1984-89 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर, 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में, ऐतिहासिक जीत दिलायी। 2008 में हुये विधान सभा चुनावों में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने 70 में से 43 सीटें जीतीं थीं।