(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पलायन को लेकर छलका पूर्व सीएम हरीश रावत का दर्द, बोले- 'घोस्ट विलेज' में तब्दील हो गए हैं गांव
एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम 'प्रवाह' में उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि हमारे गांव जो खूबसूरती के लिए जाने जाते थे आज वो घोस्ट विलेज में तब्दील हो गए हैं।
देहरादून, एबीपी गंगा। एबीपी गंगा के खास कार्यक्रम 'प्रवाह' के मंच विचारों का मंथन जारी है। 'प्रवाह' कार्यक्रम में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी शिरकत की। 'प्रवाह' के मंच पर हरीश रावत ने कई अहम मुद्दों पर बात की और पलायन को लेकर अपनी पीड़ा भी जाहिर की। चर्चा के दौरान पूर्व सीएम रावत ने कहा कि 2022 के चुनाव में जानता उनके साथ खड़ी नजर आएगी।
'प्रवाह' के मंच पलायन को लेकर बोलते हुए हरीश रावत ने कहा कि पलयान एक ऐसा मुद्दा है जो उत्तराखंड का नहीं बल्कि पूरे देश का दर्द है। गांव से शहरों की तरफ पलायन बड़ी संख्या में हो रहा है और उत्तराखंड में ये दंशा ज्यादा ही गहरा है। हरीश रावत ने कहा कि हमारे गांव जो खूबसूरती के लिए जाने जाते थे आज वो घोस्ट विलेज में तब्दील हो गए हैं। रावत ने यह भी कहा कि यह देखकर पीड़ा होती है कि आज के वक्त में बच्चे छुट्टियों में भी गांव नहीं आते हैं।
पलायन को लेकर पूर्व सीएम ने कहा कि इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह पॉलिसी पैरालाइसिस है। उन्होंने कहा कि यह आज की सरकार का मुद्दा नहीं है बल्कि यह दंश काफी पुराना है। उन्होंने कहा कि जब वो सीएम थे तो उनकी सरकार ने पलायन रोकने के लिए काफी कदम उठाए थे और कई छोटे-छोटे कदमों का लाभ भी देखने को मिला था।
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की तुलना उत्तराखंड से करने पर पूर्व सीएम ने कहा कि मैदानी भागों की इकॉनमी को बूम कर उसका उपयोग पहाडों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किया जा सकता है। पूर्व सीएम ने मौजूदा सरकार के खरीद केंद्र खोलने की योजना की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि मोबाइन वैन के जरिए शराब बेची जा रही है फिर भी राजस्व में वृद्धि नहीं हुई है। रावत ने कहा कि 2022 के चुनाव में जनता एक बार फिर 'हरीश रावत' को याद करेगी।
अपनों द्वारा विरोध को लेकर रावत ने कहा कि कांग्रेस एक डेमोक्रेटिक पार्टी है और यहां विरोध के स्वर सुने जाते हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि उनके घर पर डकैती हुई और मुकदमा भी उनके ही खिलाफ दर्ज किया गया। सीएम ने कहा कि राज्य को चलाने के लिए राज्य की समझ होनी बहुत जरूरी है। अंत में पलायन को लेकर हरीश रावत ने कहा कि वो लोगों से अपील करते हैं हफ्ते में एक दिन अपने गांव में बिताएं और गांव का बना ही खाना खाएं।