प्रयागराज. गुजरात और राजस्थान के गवर्नर रहे जस्टिस अंशुमान सिंह का निधन हो गया है. उन्होंने सोमवार सुबह लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली. 85 साल के जस्टिस अंशुमान सिंह दो राज्यों के गवर्नर रहने के साथ ही लंबे अरसे तक हाईकोर्ट में जज और राजस्थान हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस भी रहे. पिछले महीने वह कोरोना की चपेट में आ गए थे. कोविड की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ और वह लगातार अस्पताल में ही भर्ती रहे. उनका अंतिम संस्कार प्रयागराज के रसूलाबाद घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
जिला अदालत से शुरू की वकालत
जस्टिस अंशुमान सिंह का जन्म साल 1935 में प्रयागराज के शंकरगढ़ इलाके के एक छोटे से गांव में हुआ था. कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने प्रयागराज की जिला कचहरी से अपनी वकालत शुरू की थी. कुछ ही सालों में वह हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे थे. तकरीबन 28 सालों तक वकालत करने के बाद वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए थे. बाद में उनका तबादला जयपुर हाईकोर्ट के लिए हो गया था. राजस्थान में वह कुछ दिनों तक एक्टिंग चीफ जस्टिस भी रहे.
गुजरात और राजस्थान के राज्यपाल रहे
न्यायिक सेवा से रिटायर होने के बाद वह पहले गुजरात के राज्यपाल बनाए गए और उसके बाद राजस्थान के. दोनों ही जगहों पर उनका कार्यकाल बिना किसी विवाद के शांतिपूर्ण तरीके से बीता था. राजस्थान हाईकोर्ट के गवर्नर पद से हटने के बाद वह प्रयागराज शिफ्ट हो गए थे. पिछले साल कोरोना काल में उनका बेटा जब अमेरिका से भारत वापस लौटा तो उन्होंने उसे एयरपोर्ट से ही वापस लौटाकर अनूठी मिसाल पेश की थी. उनका मानना था संक्रमित होने की सूरत में अमेरिका से लौट रहा बेटा भारत में भी कई लोगों को संक्रमित कर सकता है.
शोक की लहर
जस्टिस अंशुमान सिंह के निधन पर विभिन्न राजनीतिक- सामाजिक संगठनों और न्यायपालिका से जुड़े लोगों ने गहरा दुख जताया है. हाईकोर्ट के तमाम वकीलों ने आज उनके आवास पर पहुंचकर नम आंखों के बीच उन्हें श्रद्धांजलि दी. वकीलों का कहना था कि वह हमेशा अपने जूनियर वकीलों को सम्मान देते थे और उन्हें एक गुरु की तरह ज्ञान भी देते रहते थे. परिवार और समाज के लोगों का कहना है कि उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है.
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