लखनऊ: लव जिहाद को लेकर देश के बुद्धिजीवियों में दो फाड़ को गई है. रिटायर जजों और ब्यूरोक्रेटों के एक ग्रुप ने यूपी की योगी सरकार के ख़िलाफ़ चिट्ठी जारी की. तो अब दूसरा गुट योगी आदित्यनाथ के समर्थन में आ गया है. इस ख़ेमे के लोगों ने पहले गुट के लोगों को राजनीति से प्रेरित बताया. ये भी कहा कि ऐसे लोग एक लोकप्रिय और चुनी हुई सरकार को बदनाम करने में जुटे हैं. इन्हें जब भी मौक़ा मिलता है, संसद, चुनाव आयोग से लेकर न्यायपालिका और पॉपुलर सरकारों की छवि ख़राब करने का काम करते हैं. इस गुट के लोगों ने बयान जारी कर ऐसे पूर्व जजों और अफ़सरों को बेनक़ाब करने की अपील की है.
देश के जाने माने पूर्व जज, ब्यूरोक्रेट, आर्मी अफ़सर और पूर्व कुलपतियों ने तीन पन्ने का एक बयान जारी किया है. ये बयान यूपी के पूर्व मुख्य सचिव और राज्य सभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल योगेन्द्र नारायण की तरफ़ से जारी की गई है. जिस पर 224 बुद्धिजीवियों के दस्तख़त भी हैं. इन सबने पहले गुट की तरफ़ से लिखी गई चिट्ठी की निंदा की है. ये भी कहा है कि इनके बयान को ब्यूरोक्रेसी की राय न समझी जाए. ये आरोप लगाया है कि ऐसे लोग एक ख़ास क़िस्म की राजनीति से प्रतिबद्ध हैं और उसी के हिसाब से एजेंडा चलाते हैं.
आपको बता दें कि लव जिहाद के ख़िलाफ़ धर्मांतरण रोकने के लिए सबसे पहले यूपी में क़ानून बना. अब एमपी में भी ऐसा ही क़ानून बन गया है. बिहार से लेकर कर्नाटक और हरियाणा में भी ये क़ानून बनाए जाने की मांग तेज हो गई है. लेकिन पूर्व ब्यूरोक्रेट के एक गुट ने इस क़ानून के एक विशेष धर्म के ख़िलाफ़ बताया. कहा कि ये अलोकतांत्रिक और दमनकारी है. अपने आरोपों के समर्थन में इस ख़ेमे के लोगों ने मुरादाबाद के एक केस का ज़िक्र किया था. जिसमें हिंदू लड़की ने एक मुस्लिम लड़के से तीन साल पहले शादी की थी.
योगी सरकार के समर्थन में आए पूर्व ब्यूरोक्रेट और पूर्व जजों ने कहा कि योगी सरकार का नया क़ानून जबरन धर्मांतरण के ख़िलाफ़ है. अपनी बात साबित करने के लिए इस गुट के लोगों ने मेरठ की एक घटना का हवाला दिया है. जिसमें चंचल चौधरी और उनकी नाबालिग बेटी को मार कर उनके ही घर में गाड़ दिया गया था. सोनभद्र ज़िले में शादी के बाद इस्लाम धर्म न क़बूल करने पर प्रिया की हत्या कर दी गई थी. बयान जारी कर कहा गया है कि यूपी लॉ कमीशन से रिपोर्ट मिलने के बाद ही योगी सरकार ने नया क़ानून बनाया है. कमीशन के चेयरमैन जस्टिस आदित्य नाथ मित्तल ने ये रिपोर्ट तैयार की थी. जिन लोगों ने योगी सरकार के समर्थन में दस्तख़त किए हैं, उनमें से कुछ प्रमुख नाम इस तरह हैं...
- राजेन्द्र मेनन, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस
- अंबा दास जोशी, मुंबई हाई कोर्ट के पूर्व जज
- राकेश सक्सेना, एमपी हाई कोर्ट के पूर्व जज
- हरिहरन नायर, केरल हाई कोर्ट के पूर्व जज
- आर एस राठौर, राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व जज
- आनंद बोस, केरल के पूर्व चीफ़ चीफ़ सेक्रेटरी
- सर्वेश कौशल, पंजाब के पूर्व चीफ़ सेक्रेटरी
- धर्मवीर, हरियाणा के पूर्व चीफ़ सेक्रेटरी
- पी सी डोगरा, पंजाब के पूर्व डीजीपी
- रमेश चंद्र सिन्हा, बिहार के पूर्व डीजीपी
ये भी पढ़ें-
बेहद खास है गोंडा की ये हाईटेक गौशाला, गौ वंशों को आश्रय देने के साथ ही लोगों को मिला रोजगार