पीएफ घोटाले में यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा गिरफ्तार, अखिलेश सरकार में मिला था सेवा विस्तार
एपी मिश्रा के एमडी रहते कर्मचारियों की भविष्य निधि को निजी निवेश को मंजूरी मिली थी। डीएचएफएल को दी गई पहली किस्त के वक्त भी पावर कॉर्पोरेशन के एमडी मिश्रा ही थे। पीएफ घोटाले में कई और परतें खुल सकती हैं।
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लखनऊ, एबीपी गंगा। UP PF Scam उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन यानी यूपीपीसीएल में बिजली इंजीनियर और कर्मचारियों के फंड घोटाले की जांच में रोज नई खबरें सामने आ रही हैं। इस मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पूरे मामले की तह तक पहुंचने के लिये तेजी से काम किया है। इस घोटाले में आज ईओडब्ल्यू ने पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्र को हिरासत में लिया है। पूछताछ के बाद में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पीएफ घोटाले में कई और परतें खुल सकती हैं।
ईओडब्ल्यू की टीम डीआइजी हीरालाल के नेतृत्व में मंगलवार को अलीगंज में एपी मिश्रा के आवास पर पहुंची। इसके बाद हजरतगंज थाने की पुलिस ने उनको घर से गाड़ी में बैठाया। एपी मिश्रा से पुलिस अफसर अज्ञात जगह पर पूछताछ कर रहे हैं। राज्य की योगी सरकार ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
इससे पहले कॉर्पोरेशन के पूर्व निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी और इम्पलाइज ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया गया था।
अखिलेश यादव के करीबी थे एपी मिश्रा
पूर्व एमडी एपी मिश्रा को अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। एपी मिश्रा को रिटायरमेंट के बाद तीन बार अखिलेश यादव ने सेवा विस्तार दिया था। हालांकि योगी के सीएम बनने के बाद मिश्रा ने इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं मिश्रा ने अखिलेश यादव पर किताब भी लिखी थी। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ का पैसा भ्रष्टाचार में लगाने के घोटाले में करीब ढाई हज़ार करोड़ की गड़बड़ी का आरोप है।
एपी मिश्रा के एमडी रहते कर्मचारियों की भविष्य निधि को निजी निवेश को मंजूरी मिली थी। डीएचएफएल को दी गई पहली किस्त के वक्त भी पावर कॉर्पोरेशन के एमडी मिश्रा ही थे। अखिलेश यादव की मेहरबानी यहां तक थी कि एपी मिश्रा यूपीपीसीएल के एक ऐसे एमडी रहे जो इंजीनियर होते हुए इतने बड़े पद पर पहुंचे। जबकि नियमानुसार इससे पहले यूपीपीसीएल के एमडी आईएएस लेवल का अफसर होता था।
अब तक मिली जानकारी में मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच यह बड़ी धनराशि डीएचएफसीएल को ट्रान्सफर की गई। इसकी जांच में ही शासन ने पाया है कि बिजली विभाग के कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2268 करोड़ रूपया फंस गया। इस मामले में दो अधिकारी गिरफ्तार भी किये गये हैं।
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