Basti News: पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी मामले में नया मोड़ सामने आया है. 23 साल बाद पीड़ित ने बोला कि अपहरण कांड मामले में अमरमणि त्रिपाठी की कोई भूमिका नहीं है. कोर्ट में दिए गए प्रार्थना पत्र में पीड़ित ने बताया कि अमरमणि को मैं न जानता हूं न पहचानता हूं. कोर्ट को मिले गुमनाम पत्र में अमरमणि त्रिपाठी के गोरखपुर और लखनऊ की संपत्तियों को जिक्र किया गया. न्यायाधीश प्रमोद गिरी ने दुबारा जांच कर संपत्तियों को कुर्क कर 6 जुलाई को पेश करने का आदेश दिया गया.
दरअसल यह पूरा मामला 6 दिसंबर 2001 का है. जहां बस्ती के व्यापारी धर्मराज मेधशिया के बेटा का अपहरण हुआ था. कोतवाली थाने में अमरमणि समेत कुल 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं अमरमणि त्रिपाठी को कोर्ट ने पेश होने के आदेश दिए थे. वहीं कई दिनों से फरार चल रहे और कोर्ट में पेश न होने के कारण कोर्ट ने अमरमणि के संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया था.
कुर्की के आदेश पर भी अमरमणि ने नहीं किया था सरेंडर
बस्ती पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी अमरमणि है कि मिलने का नाम नहीं ले रहा है. जिस पर कोर्ट ने अमरमणि के खिलाफ कुर्की करने का आदेश दिया था. आपको बता दें कि आदेश में कार्यवाही करते हुए बस्ती पुलिस ने अमरमणि त्रिपाठी के गोरखपुर के हुमायूंपुर मुहल्ले में स्थित मकान पर नोटिस चस्पा कर दिया था कि इस नोटिस के बाद हो सकता है अमरमणि त्रिपाठी बस्ती कोर्ट में पेश हो जाए.
लेकिन अमरमणि ने अभी तक कोर्ट में पेश न हो सके. वहीं अब इस मामले में पीड़ित द्वारा अपने बयान से बदलने से इस केस में नया मोड़ आ गया है. लेकिन कोर्ट ने अमरमणि की संपत्तियों को दुबारा जांच कर 6 जुलाई तक पेश करने के आदेश दिए गए है.
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