प्रयागराज के पूर्व एसएसपी अभिषेक दीक्षित ने दर्ज कराए बयान, थानों में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर भ्रष्टाचार का है आरोप
प्रयागराज में तैनाती के दौरान अभिषेक पर गंभीर आरोप लगे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8 सितंबर 2020 को उन्हें सस्पेंड कर दिया था. अभिषेक को 17 जून 2020 को प्रयागराज के एसएसपी की कुर्सी सौंपी गई थी.
लखनऊ: थानों में ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे प्रयागराज के पूर्व एसएसपी अभिषेक दीक्षित ने लखनऊ कमिश्नरेट के जेसीपी क्राइम नीलाब्जा चौधरी के समक्ष प्रस्तुत होकर अपने बयान दर्ज कराए. आईपीएस अभिषेक दीक्षित ने खुद पर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. अभिषेक दीक्षित के साथ ही प्रयागराज जोन के एडीजी प्रेम प्रकाश ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखा है.
अभिषेक दीक्षित तमिलनाडु कैडर के 2006 बैच के आईपीएस हैं और डेपुटेशन पर यूपी आए थे. प्रयागराज में तैनाती के दौरान अभिषेक पर गंभीर आरोप लगे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8 सितंबर 2020 को उन्हें सस्पेंड कर दिया था. अभिषेक को डीजीपी ऑफिस से संबद्ध करते हुए उनकी विजिलेंस से जांच कराने और विभागीय कार्रवाई करने के आदेश भी मुख्यमंत्री ने दिए थे. विजिलेंस ने लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के जेसीपी क्राइम नीलाब्जा चौधरी को जांच अधिकारी बनाया है. गुरुवार को आईपीएस अभिषेक दीक्षित अपने बयान दर्ज कराने लखनऊ कमिश्नरेट के जेसीपी क्राइम के सामने प्रस्तुत हुए.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि अभिषेक ने खुद पर लगे सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया. अभिषेक के साथ प्रयागराज जोन के एडीजी प्रेम प्रकाश ने भी जेसीपी के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए. अभिषेक के साथ एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और तमाम वकील भी आए थे. पुलिस सूत्रों का कहना है कि जेसीपी क्राइम में करीब 2 घंटे तक दोनों अधिकारियों से सवाल जवाब किए. जेसीपी ने दोनों अधिकारियों से तमाम अभिलेखीय साक्ष भी मांगे हैं.
स्टेनो को बचाने के लिए उसे बैक डेट में छुट्टी दे दी थी
बताते चलें कि अभिषेक को उन्हें सबसे पहले यहां पीएसी में तैनाती दी गई इसके बाद पीलीभीत का एसपी बनाया गया. पीलीभीत से अभिषेक को 17 जून 2020 को प्रयागराज के एसएसपी की कुर्सी सौंपी गई थी. प्रयागराज में तैनाती के दौरान अभिषेक दीक्षित पर थानों में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर भ्रष्टाचार करने, शासन के निर्देशों का पालन न करने और पुलिस मुख्यालय के निर्देशों को अनदेखा करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे.
विजिलेंस की जांच में आईपीएस अभिषेक दीक्षित को विभागीय अनियमितता बरतने का दोषी पाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक आईपीएस अभिषेक ने पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया और उनके द्वारा सौंपी गई जांचों का निस्तारण सही तरीके से नहीं किया. जांच में इस बात की पुष्टि हुई थी कि उन्होंने प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित किए गए अपने स्टेनो को बचाने के लिए उसे बैक डेट में छुट्टी दे दी थी. विजिलेंस जांच में अभिषेक दीक्षित पर थानों में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी थी. विजिलेंस ने शासन को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपते हुए आईपीएस अभिषेक दीक्षित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की थी. विजिलेंस अभिषेक की संपत्तियों की जांच भी कर रही है.
ये भी पढ़ें: