नई दिल्ली, एजेंसी। उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लिया है। उन्होंनेआरोप लगाया है कि कोरोना संकट के समय मुख्यमंत्री कहीं नजर नहीं आ रहे और जनता अब भगवान भरोसे इस संकट से जूझ रही है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी और पार्टी के राज्य प्रभारी अनु्ग्रह नारायण सिंह पर भी सवाल खड़े करते हुए यह दावा किया कि कोरोना संकट से निपटने में राज्य इकाई के प्रयासों में समन्वय की पूरी तरह से कमी है।


उपाध्याय ने कहा, ‘उत्तराखंड में समस्या यह है कि हर विधानसभा में जितने लोग (कांग्रेस की तरफ से) चुनाव लड़ना चाहते हैं वो सामान बांट रहे हैं। उससे एक नयी तरह की स्थिति पैदा हो गई है। जबकि होना यह चाहिए था कि राज्य इकाई और प्रदेश के प्रभारी (अनुग्रह नारायण सिंह) सबको साथ लेकर यह काम करवाते। ऐसी स्थिति में लोगों को कुछ फायदा होता।’


यह पूछे जाने पर कि क्या प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रयासों में समन्वय की कमी है तो उन्होंने कहा, ‘पूरी तरह से समन्वय की कमी है।’ उपाध्याय ने कहा, ‘सोनिया जी और राहुल जी ने पहल की है। उन्होंने गरीबों की आवाज बनने की कोशिश की। हमें लगता हैं कि राज्यों में वो चीज नहीं दिखाई दे रही। उत्तराखंड में भी यही है। हमारी पार्टी के लोग काम कर रहे हैं, लेकिन जिस समन्वय के साथ प्रयास होना चाहिए था, वह दिख नहीं रहा है।’ उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर संकट के समय राज्य को प्रभावी नेतृत्व देने में विफल रहने का आरोप लगाया।


उपाध्याय ने कहा, ‘कोरोना संकट की शुरुआत के समय मैंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से कहा था कि इस स्थिति से निपटने के लिए एक सर्वदलीय समिति बनानी चाहिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। लोग भगवान भरोसे बच रहे हैं। सरकार की तरफ से कुछ नहीं हो रहा है।’


कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य के पास प्रवासी कामगारों को वापस लाने और उनकी मदद के संदर्भ में राज्य सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है। उन्होंने यह दावा किया कि 2022 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस संकट का असर होगा, क्योंकि सब कुछ तबाह हो रहा है और राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही है।


उत्तराखंड में अब तक कोरोना के कुल 61 मामले सामने आए हैं, जिनमें करीब 40 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।उपाध्याय ने यह भी कहा कि राज्य में बिजली-पानी मुफ्त करने और प्रदेशवासियों के लिए केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण की मांग करते हुए वह निकट भविष्य में विधानसभा स्तर पर मुहिम शुरू करेंगे। पिछले कुछ वर्षों से उत्तराखंड में वन अधिकार आंदोलन चला रहे कांग्रेस नेता ने कहा कि वह राज्य के तकरीबन सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में समन्वयक बना चुके हैं और प्रदेश के कोरोना संकट से उबरने के बाद सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं को लेकर इकाइयां बनाई जाएंगी जो इस मुहिम को लोगों के बीच लेकर जाएंगी।


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