अयोध्या. अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर की बुनियाद खुदाई का काम आज से शुरू हो गया है. हालांकि राम मंदिर की बुनियाद के लिए अभी केवल एक पिलर की खुदाई और निर्माण किया जाएगा. उसका परीक्षण होने के बाद राम मंदिर की बुनियाद के अन्य पिलर का निर्माण अक्टूबर में किया जाएगा. परीक्षण में लगभग 30 दिन का समय लगने के कारण, माना जाता है कि 15 अक्टूबर से राम मंदिर की बुनियाद का कार्य पूरे जोर-शोर से शुरू हो जाएगा. आपको बता दें कि राम मंदिर की बुनियाद का स्ट्रक्चर तैयार करने के लिए मानचित्र के अनुसार 1200 पिलर तैयार किए जाने हैं.


शुरू हुआ बुनियाद की खुदाई का काम


लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में आखिरकार राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए बुनियाद की खुदाई का कार्य शुक्रवार को दोपहर तीन बजे से शुरू हो गया. सबसे पहले राम मंदिर निर्माण स्थल पर खड़ी उस रिंग मशीन का पूजन किया गया, जो बुनियाद के लिए 100 फिट गहरी और एक मीटर व्यास, एक मीटर व्यास चौड़ी भूमि की खुदाई करेगी और पिलर का निर्माण करेगी, इसके बाद पिलर की खुदाई का कार्य शुरू किया गया.


चेन्नई की रिसर्च टीम करेगी परीक्षण


हालांकि अभी केवल एक पिलर की ही खुदाई और उसका निर्माण किया जाएगा, इस प्रक्रिया में लगभग 24 घंटे का समय लगेगा. एक पिलर का निर्माण हो जाने के बाद निर्माण एजेंसी एलएंडटी और आईआईटी चेन्नई की रिसर्च टीम इस पिलर का परीक्षण करेगी. सूत्रों की मानें तो एलएंडटी कंपनी का मानना है कि पिलर जितना पानी के अंदर रहेगा मजबूती के लिहाज से उतना अच्छा होगा, जिस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, उसके आसपास 55 फिट गहराई में जल स्तर है, इसलिए पिलर को ऐसे गलाया जाएगा जैसे नदियों में पुल के खंभे गलाए जाते हैं. इस में प्रयोग किए जाने वाली सीमेंट मोरंग और कंक्रीट भी आईआईटी चेन्नई की रिसर्च टीम तय करेगी.


इस सब के बावजूद औपचारिक ही सही लेकिन राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हो गई है.


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मशीन से जमीन में 100 फीट गहरा गड्ढा खोदकर परीक्षण के तौर पर पहला प्रयोग कर रहे हैं. उसमें वह कंक्रीट डालेंगे और फिर एक महीने बाद परीक्षण किया जाएगा कि कंक्रीट ने कितनी ताकत प्राप्त की. ताकत को बढ़ाने के लिए उस कंक्रीट की आयु बढ़ाने के लिए अगर कुछ और करना होगा तो विशेषज्ञ लोग बताएंगे, इसलिए परीक्षण के तौर पर पहला गड्ढा या यूं कहे कि कुआं चौड़ाई कम होती है गहराई ज्यादा होती है तो कुआं गलाने का कार्य आज किया जा रहा है.


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