लखनऊ: चुनावी साल में योगी सरकार बम्पर भर्तियों की सौगात देने वाली है. इसकी शुरुआत हो चुकी है. सरकार का लक्ष्य इस साल के अंत तक एक लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का है. सरकारी आंकड़ों की माने तो 4 साल में करीब 4 लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिली है. इसे साल के अंत तक 5 लाख पहुंचने का लक्ष्य है.
चुनावी साल में नौकरी की बौछार
सरकार कोई भी हो चुनावी साल में रोज़गार की बौछार देखने को मिलती ही है. इस बार भी चुनावी वर्ष कुछ ऐसी ही तस्वीर दिखायेगा. हालांकि, सरकार की माने तो शुरू से ही रोज़गार फोकस में रहा है और पिछले 4 साल में हर साल करीब एक लाख के औसत से सरकारी नौकरी दी गयी हैं. ऐसा ही लक्ष्य इस साल भी है. हाल ही में लोक सेवा आयोग ने 3620 विशेषज्ञ डॉक्टर्स की भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके अलावा वाणिज्यकर विभाग भी अपने यहां खाली पद भरने के लिए ब्यौरा जुटा रहा है. इन पर भी जल्द भर्ती की तैयारी है. शनिवार को ही सीएम योगी ने टीम 9 की बैठक में भी निर्देश दिए हैं कि, बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के बाकी बचे पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए. कोरोना के मामलों में राहत के बाद अब एक बार फिर सीएम योगी का मिशन रोजगार शुरू होगा. आइए जानते हैं कि रोज़गार को लेकर सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं.
चार साल में चार लाख नौकरी दी गई, इन आंकड़ों पर एक नजर
योगी सरकार दावा है कि, 4 साल में 4 लाख लोगों को नौकरी दी जा चुकी है. इनमे 1 लाख से अधिक महिलाओं को सरकारी नौकरी मिली है. इसके मुताबिक, 1.30 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई. साल के अंत तक 5 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी.
वहीं, मनरेगा के जरिये 1.50 करोड़ श्रमिकों को रोजगार दिया गया. स्टार्ट अप इकाईयों से 5 लाख और औद्योगिक इकाइयों से 3 लाख से अधिक युवाओं को रोज़गार दिया गया. ओ.डी.ओ.पी के माध्यम से 25 लाख लोगों को रोज़गार दिया जा चुका है.
50 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयों से 1 करोड़ 80 लाख लोगों को रोज़गार दिया गया. प्रदेश सरकार की नई उद्योग नीति से 5 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दिया गया. 40 लाख से अधिक कामगारों/ श्रमिकों की स्किल मैपिंग के बाद उनको रोज़गार दिया गया. अमेजन, फ्लिपकार्ट, एकेटीयू, बीएसई जैसी कम्पनियों के उत्पादों की मार्केटिंग में 65 हज़ार से ज़्यादा व्यक्तियों को रोज़गार दिलाया गया. नोएडा में स्टेट डेटा सेंटर की स्थापना, 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों को वहां रोज़गार मिलेगा.
25 हजार से अधिक भर्तियों के प्रस्ताव
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास भी विभिन्न सरकारी विभागों से इस समय 25 हज़ार से अधिक भर्तियों के प्रस्ताव हैं. लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है. विभाग अपने यहां के रिक्त पदों पर भर्ती का ब्यौरा आयोग को सौंप रहे हैं. आयोग से भर्ती प्रक्रिया को तेज करने और अच्छे कैंडिडेट्स के लिए सरकार ने द्विस्तरीय परीक्षा प्रणाली लागू कर दी है. इसके तहत इस समय प्रीलिमिनरी एलिमेंट्री टेस्ट यानी PET के आवेदन लिए जा रहे हैं. अब तक 9 लाख, 20 हज़ार से अधिक आवेदन आ चुके हैं. ये संख्या 30 लाख तक जाने का अनुमान है. सूत्रों की माने, तो अगस्त में PET का आयोजन करने की योजना है. इसके बाद PET का रिजल्ट जारी होते ही इसके आधार पर दूसरे चरण की परीक्षा करायी जाएगी. क्योंकि, दूसरे चरण की परीक्षा में PET के अंकों के आधार पर मौका मिलेगा इसलिए उसमे अभ्यर्थियों की संख्या कम होगी. आयोग की योजना तो ये भी है कि दूसरे चरण की जो परीक्षा संभव हो उसे ऑनलाइन कराया जाए. अगर ऐसा होता है तो ऑनलाइन परीक्षा देते ही अभ्यर्थी को पता चल जाएगा कि, उसने क्वालीफाई किया या नहीं. इस तरह आयोग इसी साल 35 से 40 हज़ार भर्तियों का अनुमान लगा रहा है.
जानें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास कुछ प्रमुख प्रस्ताव जिन पर भर्ती निकाली जानी है
परिवार कल्याण विभाग में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के करीब 9212 पदों की भर्ती का प्रस्ताव है. राजस्व लेखपाल के करीब 7882 पदों की भर्ती, कृषि निदेशालय से प्राविधिक सहायक ग्रुप सी के करीब 1817 पदों की भर्ती, ग्राम विकास अधिकारी के करीब 1595 पदों की भर्ती, राजस्व परिषद में कनिष्ठ सहायक के करीब 1137 पदों की भर्ती की जानी है. इसके अलावा सहायक लेखाकार के 1068, गन्ना पर्यवेक्षक के 874 पदों की भर्ती होनी है. प्रयोगशाला प्राविधिज्ञ के 700, वन रक्षक के 694 पदों की भर्ती होनी है. प्रशिक्षण एवं सेवायोजन में अनुदेशक के 622, KGMU में विभिन्न पदों की करीब 357 भर्ती होनी है.
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के इन आंकड़ों को देखें तो अब तक करीब 26 हज़ार भर्तियों के प्रस्ताव आये हुए हैं. ये संख्या लगातार बढ़ रही है. लगातार विभिन्न विभाग अपने यहां भर्ती के लिए आयोग को प्रस्ताव भेज रहे हैं. हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी नामक संस्था ने मई महीने की रिपोर्ट जारी की थी जिसमे यूपी की बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी बताई गई थी. जबकि 2017 में बेरोजगारी दर 17.5 फीसदी थी. मई की रिपोर्ट के अनुसार यूपी रोजगार देने में दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल से आगे रहा. मई की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बेरोजगारी दर 45.6 फ़ीसदी, राजस्थान में 27.6, केरल में 23.5, पश्चिम बंगाल में 19.3, तमिलनाडु में 28.4, झारखंड में 16, आंध्र प्रदेश में 13.5 पंजाब में 8.8 और छत्तीसगढ़ में 8.3 फ़ीसदी.
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