France Citizen Salvation: काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है, प्राचीन काल से ही यहां मृत्यु की इच्छा को लेकर भी दूर दराज से लोग आते हैं. वहीं आधुनिकता के दौर में अब विदेशी नागरिक भी अपने जीवन का अंतिम समय काशी में व्यतीत करने के प्रति इच्छा जता रहे हैं. जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है फ्रांस के रहने वाले माइकल मैक्रोंन पैन की. दरअसल माइकल की उम्र 60 वर्ष है और वह फ्रांस के रहने वाले हैं लेकिन दुर्भाग्यवश वह स्टमक कैंसर के लास्ट स्टेज पर हैं. उन्होंने किताबों में पढ़ा था कि काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है और इस जगह पर व्यक्ति की मृत्यु होने से उसे जन्म मृत्यु के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है. अभी तक मिली जानकारी के अनुसार माइकल वाराणसी के कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में भर्ती हैं.


मुमुक्ष भवन में लेना चाहते हैं अंतिम सांस  


दशकों से वाराणसी में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर रहे अमन कबीर विदेशी नागरिक माइकल की देखरेख कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में कर रहें  हैं. एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान अमन कबीर ने बताया कि माइकल फ्रांस के रहने वाले हैं जिनकी उम्र तकरीबन 60 वर्ष है और वह कैंसर से पीड़ित हैं. अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में वह काशी पहुंचे जहां वो दशास्वमेध थाना क्षेत्र के एक गेस्ट हाउस में ठहरे थे. कुछ दिनों बाद बीमार पड़ने की वजह से गेस्ट हाउस के मालिक ने इसकी सूचना दशास्वमेध पुलिस को दी और पुलिस प्रशासन द्वारा माइकल को कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में ले जाकर भर्ती कराया गया. जहां उन्होंने बताया कि उन्हें कैंसर हैं और वह काशी के मोक्ष धाम मुमुक्षु भवन में अपने जीवन का अंतिम समय व्यतीत करना चाहते हैं. इसके अलावा कभी-कभी माइकल द्वारा बेचैन होकर अपने देश वापस लौटनें के लिए भी कहा जाता है.


हर संभव मदद प्रदान किया जाएगा- मंडलायुक्त 


वहीं इस मामले को लेकर एबीपी न्यूज ने वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि विदेशी नागरिक के स्थितियों के बारे में जानकारी प्रशासन के संज्ञान में है. हम पूरी तरह से आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनके इलाज व देखरेख को लेकर हर संभव मदद प्रशासन की तरफ से प्रदान की जाएगी. इसके अलावा उन्हें जल्द ही एक आश्रम में शिफ्ट किया जाएगा.


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