लखनऊ: मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रताप चंद्र नें कोविडशील्ड वैक्सीन लगवाने के बावजूद एंटीबॉडी न बनने पर शनिवार को लखनऊ के ACJM-5 मजिस्ट्रेट शांतनू त्यागी की अदालत में 156-3 के तहत धोखाधड़ी का मुकदमा सीरम कंपनी के मालिक अदार पूनावाला, ड्रग कंट्रोल डायरेक्टर, स्वास्थ सचिव, ICMR और WHO के विरुद्ध दायर किया. 


प्रताप चंद्र ने 30 मई को उक्त के विरुद्ध आशियाना थाने में तहरीर दी थी, मुकदमा न लिखे जाने पर लखनऊ पुलिस आयुक्त और पुलिस महानिदेशक को भी तहरीर भेजकर मुकदमा दर्ज कराने की गुहार लगाई. लेकिन अंत में मजबूरन अदालत की शरण में जाकर मुकदमा दर्ज कराना पड़ा.


क्या कहना है प्रताप चंद्र का?
दायर मुकदमे में लिखा गया कि सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाई गई और सरकारी संस्थान ICMR, स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन द्वारा मान्यता प्राप्त और उपलब्ध कराया जाने वाला कोविडशील्ड वैक्सीन और विभिन्न समाचार पत्र पत्रिका, दूरदर्शन पर वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किए जाने हेतु सरकारी विज्ञापनों से प्रेरित होकर मैंने दिनांक 8 अप्रैल 2021 को आशियाना थाना, रूचि खंड स्थित गोविन्द हॉस्पिटल में पहला डोज लगवाया था. दूसरे डोज की निर्धारित तिथि 28 दिन बाद की दी गई थी, परन्तु 28 दिन बाद जाने पर बताया गया कि अब दूसरी डोज 6 हफ्ते में लगेगी, फिर सरकार ने घोषणा की कि अब 6 नहीं बल्कि 12 हफ्ते बाद दूसरी डोज लगेगी .


वैक्सीन लगवाने के उपरांत स्वास्थ ठीक नहीं रह रहा था और ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की 21 मई 2021 को प्रेस वार्ता टीवी चैनलों पर देखा और समाचार पत्रों में पढ़ा कि ICMR के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव नें फिर से स्पष्ट कहा कि “With the very first dose of Covishield vaccine, “good levels” of antibodies are produced in the body, but with Covaxin, adequate immune response is triggered only after the second dose.” “यानि कोविडशील्ड वैक्सीन ” के पहले डोज के बाद अच्छे लेविल का एंटीबॉडी बनता है . लिहाज़ा मैंने 25 मई 2021 को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लैब थायरोकेयर से अपना COVID ANTIBODY GT टेस्ट कराया जिससे मालूम हो सके कि कोविडशील्ड वैक्सीन जो कि एंटीबॉडी बनाने के लिए लगवाई थी, उससे एंटीबॉडी बनी या नहीं, लेकिन 27 मई 2021 को रिपोर्ट निगेटिव आई, यानि जिस एंटी बॉडी को बनाने हेतु वैक्सीन लगवाया था वो नहीं बना बल्कि प्लेटलेट्स भी 3 लाख से घटकर 1.5 लाख काउंट हो गई जो न सिर्फ मेरे साथ धोखा हुआ बल्कि जान का बड़ा जोखिम बना हुआ है


ICMR, स्वास्थ्य विभाग ने बताया था कि इस एंटीबॉडी वैक्सीन को  लगाने से एंटीबॉडी डेवलप होगी यानि पॉजिटिव होगा, भले कम या ज्यादा हो सकता है, जो कि कोरोना से बचने का सुरक्षा कवच होगा, लेकिन मेरे केस में तो रिपोर्ट निगेटिव आई यानि एंटीबॉडी बनी ही नहीं बल्कि सामान्य प्लेटलेट भी आधे से भी कम रह गए हैं जिससे संक्रमण का खतरा ज्यादा हो गया है जिससे मेरी किसी भी समय मृत्यु हो सकती है . ये सरासर मेरे साथ धोखाधड़ी है और इसे अपने हत्या के प्रयास का विषय मानता हूँ .


यह मेरे साथ विश्वसनीय कंपनी, संस्था, पदाधिकारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी है जिससे मेरी मृत्यु हो सकती है क्यूंकि अभी तक सरकार की जिम्मेदार संस्थाओं ने ये नहीं बताया है कि वैक्सीन के बाद भी एंटीबोडी न बनने के बाद क्या होगा, फिर वैक्सीन लगेगी, क्या हमेशा वो व्यक्ति घर में रहेगा, क्यूंकि अब खुद व समाज के लिए खतरा है . ये उस प्रकार से है कि मौके पर कार का एयरबैग का न खुलना या सब स्टैंडर्ड बुलेट प्रूफ पहनने के बाद खतरे में होना, या नकली दवा लेकर खतरे में रहना .


यह मुकदमा वकील श्री अमित सचान और श्री विष्णु अवस्थी नें प्रताप चन्द्र की तरफ से दायर किया .


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