आयुष्मान योजना पर फर्जीवाड़े का साया, एक ही परिवार से 200 से अधिक लोगों का नाम
उत्तर प्रदेश में आयुष्मान योजना को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस योजना के तहत एक ही परिवार में सैकड़ों लोगों का नाम तक सामने आया है। स्वास्थ विभाग इन मामलों पर सजगता दिखाते हुये जांच कर रहा है।
लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश भर में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। योजना का लाभ लेने के लिए ऐडऑन सुविधा का इस्तेमाल कर लोगों ने एक ही परिवार में 200 से अधिक लोगों तक का नाम जुड़वा लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी संख्या में ऐसे गोल्डन कार्ड डीएक्टिवेट करने के लिए नेशनल हेल्थ एजेंसी को लिखा है। इसके अलावा 37 लाख परिवार ऐसे भी हैं जो विभाग को ढूंढे नहीं मिले।
आयुष्मान भारत योजना में लाभार्थियों का चयन 2011 के सेन्सस के आधार पर हुआ है। इसमें यूपी के 1 करोड़ 18 लाख परिवार लाभार्थियों की सूची में हैं। इसमें ये सुविधा भी है कि कोई परिवार अपने सदस्यों की संख्या बढ़वा भी सकता है। इसकी वजह ये है कि परिवार में कोई बच्चा पैदा हुआ, किसी की शादी होने से सदस्य बढ़ा। लेकिन इस ऐडऑन सुविधा के नाम पर जालसाज बड़ा खेल कर रहे हैं। दूसरों के राशनकार्ड लेकर फर्जी तरीके से उसमे नए नाम जोड़कर उनको योजना में ला रहे हैं। झांसी के एक कार्ड पर शुरुआत में 4 सदस्य थे। लेकिन बाद में फर्जीवाड़ा कर उस पर 199 लोग और जुड़ गए। इसी तरह एक अन्य केस में परिवार के सदस्यों की संख्या 4 से बढ़कर 160 हो गई। इनमे कई मामले ऐसे हैं जिनमे कार्ड धारक को पता भी नहीं की कब उसके कार्ड पर इतने सदस्य जोड़ लिए गए। फ़िलहाल इस खेल पर रोक लगाने के लिए ये व्यवस्था लागू की गई है कि किसी परिवार में पहले से दर्ज कुल संख्या के 50 फीसदी या अधिक्तम 10 सदस्य ही जोड़े जायेंगे।
आयुष्मान भारत योजना में यूपी में कुल 1 करोड़ 18 लाख परिवार हैं। लेकिन इनमे से 37 लाख परिवार विभाग को ढूंढे नहीं मिल रहे। अब विभाग 15 जनवरी से इसके लिये री-वेरिफिकेशन का अभियान चलाने जा रहा है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि इस अभियान में जो परिवार नहीं मिलेंगे उनकी जानकारी राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र को भेजी जायेगी।
प्रदेश भर से अपात्रों को भी योजना में शामिल करने के मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन विभाग इन्हें बाहर करने में बेबस है। प्रमुख सचिव ने कहा कि 2011 के सेन्सस से जिन लोगों को योजना में शामिल किया गया है, फिलहाल ऐसी कोई नीति नहीं जिससे उनको बाहर किया जा सके। इससे साफ जाहिर है कि विभाग की बेबसी योजना का लाभ उनको भी दे रहे जो असल में हक़दार ही नहीं।
योजना में फर्जीवाड़े के सबसे अधिक मामले झांसी, आगरा, आज़मगढ़ की तरफ से आ रहे हैं। पिछले कुछ समय में विभाग ने 1422 फर्जी गोल्डन कार्ड डीएक्टिवेट किये हैं। इनमे सर्वाधिक 704 कार्ड आगरा के हैं। इसके आलावा झांसी में 204 फर्जी कार्ड, हापुड़ में 177, बुलंदशहर में 72, गोरखपुर में 60, अमरोहा में 54 फर्जी कार्ड डीएक्टिवेट किये हैं। उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि ऐडऑन सुविधा का दुरूपयोग कर एक ही परिवार में 160 से 199 लोग तक जोड़ लिये गये। विभाग ने ऐसे लोगों के कार्ड डीएक्टिवेट करने के लिए नेश्नल हेल्थ एजेंसी को लिखा है। जालसाजों ने दूसरों का राशनकार्ड इस्तेमाल कर खेल किया गया है। फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राशनकार्ड का ऑनलाइन वेरिफिकेशन शुरू कर दिया गया है। फर्जीवाड़े के सबसे ज्यादा मामले झासी, आगरा और आज़मगढ़ से सामने आ रहे हैं।