बलिया. उत्तर प्रदेश के बलिया में शिक्षा विभाग में एक करोड़ छत्तीस लाख रुपये के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. फर्जीवाड़े का मामला अमरनाथ संस्कृत विद्यालय, खेजुरी का है. जहां जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के प्रधान सहायक ने फर्जी कागज तैयार कर अमर नाथ संस्कृत विद्यालय, खेजुरी के शिक्षकों के एक करोड़ 36 लाख रुपये का भुगतान करा दिया. इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने संयुक्त शिक्षा निदेशक, आजमगढ़ मंडल से अभिलेखों में हेराफेरी कर भुगतान करने की शिकायत कर दी. संयुक्त शिक्षा निदेशक ने वित्त नियंत्रक से इसकी जांच कराने और वित्त नियंत्रक द्वारा जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा सही पाए जाने के बाद दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश जिला विद्यालय निरीक्षक को दिया है. जिसके बाद से विभाग में हड़कंप मच गया है.


फर्जी कागजों के सहारे शिक्षकों का भुगतान


कागजों में धनराशि के अंकों में ओवर राइटिंग कर शिक्षकों के वेतन भुगतान किए जाने का मामला बलिया के अमरनाथ संस्कृत उच्चतर माघ्यमिक विद्यालय, खेजुरी का है. जहां जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के प्रधान सहायक श्याम नारायण शुक्ला ने अमर नाथ संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, खेजुरी के शिक्षकों का वेतन भुगतान दस्तावेजों में हेराफेरी कर करा लिया गया. जिसकी शिकायत अरुण मिश्रा ने संयुक्त शिक्षा निदेशक से जब कि तो संयुक्त शिक्षा निदेशक ने इसकी जांच वित्त नियंत्रक से कराया और जब वित्त नियंत्रक ने अपनी इस जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा कर भुगतान कराए जाने की पुष्टि के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक, आजमगढ़ मंडल ने इस फर्जीवाड़ा के दोषियों पर एफआईआर कराने का निर्देश जिला विद्यालय निरीक्षक को दे दिया है. वहीं, शिकायतकर्ता की मानें तो खेजूरी के अमरनाथ संस्कृत हाई स्कूल उत्तर माध्यमिक विद्यालय में एक करोड़ 36 लाख रुपए का फर्जी भुगतान जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के प्रधान सहायक श्याम नारायण शुक्ला द्वारा फर्जी कागज तैयार कराकर कराया गया है. संयुक्त शिक्षा निदेशक को इसका संज्ञान हुआ तो उन्होंने वित्त नियंत्रक से जांच कराई. वित्त नियंत्रक ने बताया है कि यह जो धन आवंटन का एक करोड़ 36 लाख रुपए का जो पत्र है वह हमारे यहां से जारी नहीं हुआ है. इस पर संयुक्त शिक्षा निदेशक अनार पति वर्मा ने जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देशित किया है कि आप इसमें श्याम नारायण शुक्ला के विरुद्ध एफआईआर कराइए और 17 तारीख की चिट्ठी है अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई. अगर इसकी जांच होगी तो अभी और फर्जी भुगतान का मामला प्रकाश में आएगा. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के प्रधान सहायक श्याम नारायण शुक्ला जांच के डर से मेडिकल लेकर छुट्टी पर चले गए हैं.


क्या कहना है स्कूल प्रबंधक का


वहीं, इस मामले में जब अमरनाथ संस्कृत विद्यालय, खेजूरी के प्रबंधक भारतेंदु चौबे की माने तो प्राइमरी अनुभाग के अध्यापकों का भुगतान हुआ है. उसमें भी वहां जिले स्तर से वित्त नियंत्रक के यहां से धन की मांग हुई है और वित्त नियंत्रक के यहां से जनपद का धन आवंटन अध्यापकों के वेतन भुगतान का होता है. उसके साथ पत्रांक सहित उतना धन वहां से भेजा गया है. वहां से दो प्रति आती हैं, एक जिला विद्यालय निरीक्षक के ईमेल पर और एक ट्रेजरी ऑफिसर के ईमेल पर और जब तक दोनों जगह टैली नहीं करेगा तब तक जिला विद्यालय निरीक्षक एक रुपए का भुगतान भी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय द्वारा नहीं किया जा सकता है. जहां तक जांच की बात है, जो वर्तमान में संयुक्त निदेशक अमर पति वर्मा हैं, वह 1996 में यहां पर डीआईओएस थी. तब मेरे बाबा मैनेजर थे उनके द्वारा हाई कोर्ट के अवमानना में उन पर 2 महीने की सजा और 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था और वह जेल भी गई थीं. इसी चीड़ में प्रतिशोध की भावना से जो सही भुगतान हुआ है, इन्होंने आदेश कर दिया है कि फर्जी तरीके से भुगतान हुआ है और यह चाहती हैं कि डीआईओएस और बाबू दोनों लोगों पर कार्रवाई हो जाए.


शासन स्तर से की जा रही है जांच


वह इस मामले में डीआईओएस/ जिला विद्यालय निरीक्षक भास्कर मिश्रा की मानें, तो इस मामले की रिपोर्ट हमने शासन को भेज दी है और शासन के स्तर से जांच इसमें की जा रही है. जहां तक फर्जी भुगतान की बात है तो वह फर्जी इसलिए नहीं है कि वह बजट हमारे वित्त नियंत्रक से जारी हुआ है, जो बजट जारी होता है, वह हमारे साथ साथ ट्रेजरी को भी जाता है और ट्रेजरी का बजट का अपना स्रोत है तो ऐसा संभव नहीं है कि बजट जारी ही ना हो और उसका भुगतान हो जाए अगर बजट जारी होता है तभी वह भुगतान होता है. कागज में जो ओवरराइटिंग हुई है, उसकी भी जांच निदेशालय के स्तर से चल रही है. जहां तक कागज में टेंपरिंग करने की बात है तो जिसने बजट जारी किया गया है तो निश्चित रूप से बजट जिसने दिया है वही तो उसमें टेंपरिंग करेगा ? अब यह जांच का विषय है और जांच हो रही है. ज्वाइंट डायरेक्टर के पत्र में किसी का नाम नहीं है. उन्होंने दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है, तो पहले यह तो जांच हो जाए की दोषी है कौन ?


ये भी पढ़ें.


पीलीभीतः मृतक किसानों के नाम पर हो रही गन्ने की तोल, अधिकारियों और गन्ना माफियाओं की मिलीभगत