लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण के कंप्यूटर रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर करीब 498 भूखंडों के आवंटन में गड़बड़ी का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है. मामला सामने आने के बाद कार्यदाई संस्था डीजी टेक प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अजीत मित्तल और सर्विस इंजीनियर दीपक मिश्रा समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. इसके साथ ही कंप्यूटर सेक्शन के प्रभारी एसबी भटनागर को भी आरोप पत्र दिया गया है. जानकारों की माने तो यह अब तक का एलडीए का सबसे बड़ा भूखंड घोटाला है.
यूजर आईडी व पासवर्ड के जरिये किया गया खेल
असल मे एलडीए कर्मचारियों की मिलीभगत से पुराने कर्मचारियों की यूजर आईडी व पासवर्ड के जरिए मूल आवंटीओं के नाम कंप्यूटर में बदले जा रहे थे. पिछले दो साल में करीब 500 भूखंडों के रिकॉर्ड में फर्जीवाड़े का मामला सामने आ चुका है. अभी कई और मामले भी सामने आ सकते हैं. खास बात ये कि रिकॉर्ड्स में छेड़छाड़ के लिए एलडीए के कंप्यूटर सेक्शन के प्रभारी एसबी भटनागर की यूजर आईडी का भी इस्तेमाल किया गया.
सामने आई कर्मचारियों की मिलीभगत
सूत्रों की माने तो 500 में से करीब 50 भूखंडों के रिकॉर्ड में गड़बड़ी सेक्शन प्रभारी की आईडी से ही हुई है. इस मामले में कंप्यूटर सेक्शन में तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है. एफआईआर कराने वाले एलडीए में तहसीलदार राजेश शुक्ला के मुताबिक, डीजी टेक प्राइवेट लिमिटेड सर्वर की सर्विस मुहैया कराती है. ऐसे में कंपनी के पास पूरे नेटवर्क का कमांड है. इन लोगों ने सरवर से छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए. यूज़र आईडी का गलत इस्तेमाल किया. सर्वर का गलत इस्तेमाल कर आवंटियों के नाम बदले और अवैध तरीके से फर्जी नाम के दस्तावेज तैयार किए गए.
केस 1: वसंत कुंज सेक्टर ओ में प्लॉट डी 129 के बदले इसके आवंटी को गोमती नगर विस्तार में दूसरा प्लॉट आवंटित कर दिया गया. जांच में सामने आया कि इसके समायोजन से जुड़ा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है. डिस्पोजल रजिस्टर में प्लॉट नंबर के आगे आवंटी का नाम नहीं है और भुगतान की भी कोई जानकारी नहीं. इसके बावजूद समायोजन का ब्यौरा कंप्यूटर में दर्ज था.
केस 2: कानपुर रोड योजना में सेक्टर एल में प्लॉट नंबर ए1-221 और 224 खाली होने के बावजूद एलडीए की वेबसाइट पर आवंटित दिखाए जाते रहे और गुपचुप तरीके से भेज दिए गए. फिर इसका ब्यौरा कंप्यूटर पर दर्ज कर लिया गया.
पहले भी हुये फर्जीवाड़े
कई साल पहले एलडीए की जानकीपुरम योजना में भूखंडों के रिकॉर्ड में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था. इसकी सीबीआई जांच भी हुई जिसमे 413 भूखंड की फ़ाइल गायब मिली थी. हालांकि, 139 मामलों में ही गड़बड़ी पकड़ी गई. मामले में 14 अधिकारी व कर्मचारी दोषी मिले थे. हालांकि आज तक वसूली नही हो पाई. इसके अलावा भी फर्जीवाड़े के मामले आ चुके हैं.
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