Free Ration: यूपी में क्या लोगों को मुफ्त राशन के नाम पर प्लास्टिक के चावल बांटे जा रहे? चौंकाने वाली है सच्चाई
UP News: गांव के लोगों का कहना है कि पिछले 2 महीने से राशन कार्ड धारकों को कोटे में जो चावल दिया रहा है वो मिलावटी है. उसमें प्लास्टिक के चावल भी मिलाए गए जिसको ग्रामीण घंटों लगकर अलग करते हैं.
Basti News: देश की 80 करोड़ जनता को सरकार की तरफ से फ्री में राशन बांटा जा रहा है, लेकिन कई घोटालेबाज गरीबों के निवाले में भी घपला कर देते हैं. मामला बस्ती (Basti) जनपद के हरैया थाना क्षेत्र के बरगदवा माफी गांव का है, जहां के ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कोटेदार तिलकराम ने उन्हें प्लास्टिक का चावल (Plastic rice) बांट दिया है, जिसको खाने से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही है. इस मामले की शिकायत जैसे ही बस्ती जिले की डीएम प्रियंका निरंजन को हुई तो उन्होंने जिला पूर्ति अधिकारी को मौके पर जांच के लिए भेजा. इसके बाद मिली रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने कहा कि ग्रामीणों को दिए गए राशन में प्लास्टिक के चावल की बात झूठी है.
सरकार गरीबों को फ्री में राशन बांट रही है जिससे कोई भी गरीब परिवार भूखा ना रह सके, मगर आरोप है कि गरीबों के मिलने वाले राशन में भी मिलावट की जा रही है और यह मिलावट गरीबों के लिए भारी पड़ने लगा है. बरगदवा माफी गांव के लोगों का कहना है कि पिछले 2 महीने से कोटेदार तिलकराम ने राशन कार्ड धारकों को कोटे में जो चावल दे रहा है वो चावल मिलावटी है और उसमें प्लास्टिक के चावल भी मिलाए गए जिसको ग्रामीण घंटों लगकर अलग करते हैं. उसके बाद बाकी बचे चावल को खाने में प्रयोग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि प्लास्टिक वाले चावल को बनाने के बाद वह खाने में अच्छा नहीं लगता है. यहां तक कि बच्चे भी अब उसे खाना पसंद नहीं कर रहे हैं.
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने दी सफाई
हालांकि कोटेदार तिलकराम ने बताया कि एफसीआई गोदाम से उन्हें जो अनाज मिला उसे ही वह कार्ड धारकों में बांट रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस चावल को ग्रामीण प्लास्टिक का चावल बता रहे हैं वह प्रोटीन युक्त चावल है और यही चावल उन्हें बांटने के लिए सरकारी गोदाम से मिला है.
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वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने बताया कि उन्होंने डीएसओ को मौके पर भेजकर जांच कराया है. इसके बाद रिपोर्ट आई और उसमें बताया गया है कि पीडीएस गोदाम से B12 और फोलिक एसिड युक्त चावल राशन कार्ड धारकों को बांटने के लिए दिया जा रहा है. शासन के निर्देश पर हर कोटेदार को यह राशन दिया जाना है. इसलिए ग्रामीणों ने जो आरोप लगाए हैं वह गलत हैं और उन्हें प्लास्टिक के नहीं बल्कि प्रोटीन वाले चावल दिए गए है.