Varanasi News: उत्तर प्रदेश में वाराणसी को आध्यात्मिक नगरी भी कहा जाता है. अक्सर लोगों को अपने जीवन के अंतिम समय में यहां मोक्ष की कामना लेकर आते देखा जाता है. 60 वर्षीय फ्रांस के नागरिक माइकल भई काशी मोक्ष की कामना लेकर बीते महीने आए थे. कैंसर से पीड़ित माइकल की इच्छा थी कि उनकी मृत्यु काशी में हो जिससे वह जन्म और मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो सकें.
उन्हें काशी के मंडलीय अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था, प्रशासन की ओर से उनकी देखरेख भी की जा रही थी. 8 नवंबर को माइकल की वाराणसी में मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनका पोस्टमार्टम कराया गया और इसकी सूचना एलआईयू द्वारा दिल्ली स्थित फ्रांस दूतावास को दी गई. इसके बाद काशी के समाज सेवक अमन कबीर द्वारा पूरे हिंदू रीति रिवाज से माइकल का अंतिम संस्कार किया गया.
काशी आए माइकल को मिला मोक्ष
माइकल का अंतिम संस्कार करने वाले अमन कबीर ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहा कि फ्रांस के 60 वर्षीय नागरिक माइकल मोरलियर मोक्ष की इच्छा लेकर काशी आए थे. जहां 8 नवंबर को कैंसर की वजह से माइकल का निधन हो गया.
जिला प्रशासन के माध्यम से इसकी सूचना फ्रांस एंबेसी को दी गई और फ्रांस एंबेसी द्वारा मिले दिशा निर्देश अनुसार जिला प्रशासन के सहयोग से हमने माइकल का हिंदू रीति रिवाज से हरिशचंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया. माइकल की इच्छा थी की विश्व की प्राचीन नगरी काशी में उनकी मृत्यु हो जिससे उन्हें जन्म मृत्यु के चक्कर से मुक्ति मिल सके और वह मोक्ष को प्राप्त हो.
फ्रांस के माइकल को अमन ने दी मुखाग्नि
अमन कबीर ने बताया कि शिवपुरी स्थित पोस्टमार्टम हाउस में शव का पोस्टमार्टम होने के बाद हिंदू पारंपरिक रीति रिवाज से माइकल को हरीशचंद्र घाट ले जाया गया. इस दौरान माइकल का कोई भी परिवार का साथ में मौजूद न होने की वजह से हमने ही उन्हें मुखाग्नि दी और गंगा मां से उनके मोक्ष के लिए प्रार्थना की. इससे पहले भी विश्व की प्राचीन नगरी काशी में दूरदराज से लोग मोक्ष की कामना को लेकर पहुंचते हैं.
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