महाराजगंज: भोजपुरी भी बोलने लग गया फ्रांसीसी परिवार, गांववालों के साथ कुछ ऐसे एंजॉय कर रहा है लॉकडाउन
लॉकडाउन की वजह से महाराजगंज में फंसा फ्रांसीसी परिवार गांव में खूब मस्ती कर रहा है. परिवार ने मंदिर परिसर में पौधा लगाया, ताकि ये लोगों को याद दिला सके कि ये कभी यहां रुके थे.
महाराजगंज, संजय कुमार पांडेय: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोल्हुआ उर्फ सिहोंरवा का शिव मंदिर इन दिनों खासा चर्चा में बना हुआ है. जिसकी वजह से यहां ठहरे विदेशी मेहमान. दरअसल, लॉकडाउन की वजह से एक फ्रांसीसी परिवार गांव में फंस गया था, लेकिन अब उन्हें यहां मजा आने लगा है. ये परिवार न सिर्फ गांव की सभ्यता और संस्कृति में घुल-मिल गया है, बल्कि अब तो टूटी-फूटी भोजपुरी भी बोलने लगा है. उनके मुंह से टूटी-फूटी भोजपुरी सुनकर गांव के लोग भी हैरत में हैं कि आखिर विदेशी मेहमान भी उनकी माटी में घुल-मिल गए हैं. अब इस परिवार ने मंदिर परिसर में पौधरोपण शुरू कर दिया और गांव के लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
लॉकडाउन की वजह से नहीं जा सकें नेपाल
फ्रांस के टूलूज शहर के रहने वाले पैट्रीस पैलेरस अपने पत्नी व बच्चों समेत टूरिस्ट वीजा पर एक मार्च को पाकिस्तान से बाघा बार्डर होते हुए भारत में आए थे. जिन्हें भारत में अलग-अलग स्थानों पर भ्रमण के बाद नेपाल जाना था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते देश में लागू लॉकडाउन व नेपाल सीमा सील होने के कारण वो नेपाल नहीं जा सके और महाराजगंज में ही फंस गए.
पौधे लगाने का शौक
पैट्रीस पैलेरस कहते हैं कि उनकी पत्नी भी स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी हैं. ऐसे में उनका पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर रहता है. हम सभी को पौधे लगाने का शौक है. नेपाल सीमा सील होने के कारण मंदिर पर रुककर गांव की संस्कृति सीखने का भरपूर मौका मिल रहा है. लॉकडाउन को यादगार बनाने के लिए मंदिर परिसर में एक पौधा रोपा गया है, जो यह याद दिलाएगा की हम सभी यहां रुके थे.
गांव की भाषा में अपनेपन की झलकओफली पैलेरस ने बताया कि वक्त बीतने के साथ ही लोगों का स्नेह ज्यादा मिल रहा है. ऐसा लगता है कि हम सभी अपने घर पर ही हैं. यहां के लोगों की भाषा में आत्मीयता दिखती है. पहले हम फ्रैंच के अलावा केवल अंग्रेजी बोलना जानते थे, लेकिन गांव की महिलाओं व बच्चों से बात करते-करते अब गांव की भाषा बोलना भी सीख गए हैं. अब तो गांव की भाषा बोलने में अपनापन ज्यादा दिखता है.
टाम करते साइकिल की सवारी
फ्रांसीसी परिवार के सबसे छोटे सदस्य टाम पैलेरस इन दिनो गांव के बच्चों के साथ ज्यादा घुलमिल गए हैं. टाम कहते हैं कि गांव के बच्चे साइकिल पर बैठाकर घुमाते हैं, बेहद अच्छा लगता है. बच्चों के साथ खेलने में मजा आता है.
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