चमोली, एबीपी गंगा। बद्रीनाथ धाम में एक बार फिर से बर्फ की सफेद चादर से ढक गया है। एक बार फिर हिमपाल होने से बद्रीनाथ धाम में ठंड लौट आई है। बर्फबारी के कारण बद्रीनाथ धाम में व्यवस्था बनाने में प्रशासन को भारी परेशानी हो रही है। बता दें कि 10 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। यात्रा शुरू होने से पहले शासन-प्रशासन की ओर से व्यवस्थाएं की जा रही है, लेकिन चार धाम यात्रा व्यवस्था में एक बार फिर से मौसम में खलल डाला है।


देखिए, बद्रीनाथ धाम में हुई ताजा बर्फबारी की तस्वीरें



बद्रीनाथ धाम में एक बार फिर से बर्फबारी शुरू हुई।



बर्फ की सफेद चादर से ढका बद्रीनाथ धाम।



विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल 10 मई 2019 को सुबह सवा चार बजे खोले जाएंगे।



श्रद्धालु 10 मई 2019 से भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर पाएंगे।



बता दें कि बद्रीनाथ या कहें बद्रीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो कि उत्तराखंड में चमोली जिले के बद्रीनाथ शहर में स्थित है।



चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है बद्रीनाथ। मान्‍यता है कि केदारनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा के बाद अगर आपने बद्रीनाथ धाम की यात्रा नहीं की, तो आपकी चारधाम यात्रा अधूरी मानी जाती है।



कैसे पड़ा बद्रीनाथ मंदिर नाम?


ऐसी मान्‍यता है कि एक बार देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु से नाराज होकर मायके चली गई थीं। तब भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को मनाने के लिए तपस्या की। तब जाकर देवी लक्ष्मी की नाराजगी दूर हुई। कहते हैं, देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को ढूंढते हुए उस जगह पहुंच गईं, जहां भगवान विष्णु तपस्या कर रहे थे। उस समय उस स्थान पर बदरी (बेड) का वन था। बेड के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी, इसलिए लक्ष्मी माता ने भगवान विष्णु को ‘बद्रीनाथ’ नाम दिया।