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FSI Report 2021: गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में 2017 से वन क्षेत्र में नहीं हुई बढ़ोतरी, यूपी में 6.15% बढ़ा

गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में 2019 की तुलना में वन क्षेत्र में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. इससे पहले 2017 की तुलना में भी 2019 में गौतम बुद्ध नगर में कोई बदलाव नहीं हुआ था. गाजियाबाद गिरावट हुई थी.

FSI Report 2021: भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने इस साल 13 जनवरी को स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 जारी किया है, जिसके अनुसार गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में वन क्षेत्र में 2019 की तुलना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 की तुलना में मेरठ, बागपत और बुलंदशहर में भी वन क्षेत्र में कोई वृद्धि नहीं हुई है. गौतम बुद्ध नगर में कुल 1,282 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) के भौगोलिक क्षेत्र में, 20 वर्गमीटर का वन क्षेत्र है, जो लगभग 1.56 प्रतिशत है. इसी तरह गाजियाबाद में कुल 1,179 वर्ग किमी में से केवल 25.22 वर्गमीटर का वन क्षेत्र है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों जिलों में 2019 की तुलना में वन क्षेत्र में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. इससे पहले 2017 की तुलना में भी 2019 में गौतम बुद्ध नगर में कोई बदलाव नहीं हुआ था, जबकि गाजियाबाद के वन क्षेत्र में -0.78% की गिरावट दर्ज की गई थी. उत्तर प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कई पेड़ काटे गए हैं और वृक्षारोपण के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं.

इसलिए नहीं हुई वन क्षेत्रों में बढ़ोतरी

यूपी वन विभाग में मेरठ के वन संरक्षक गंगा प्रसाद ने बताया कि मुद्दा जमीन की उपलब्धता को लेकर भी है. यही कारण है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अनुमति के बदले हम जो वनरोपण करते हैं, वह श्रावस्ती, चित्रकूट और झांसी जैसे जिलों में किया जाता है. वन क्षेत्रों में पुराना वृक्षारोपण है और नया जोड़ केवल रोटेशन के आधार पर किया जाता है. इसलिए वन क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.

काटे गए 38,000 हजार से ज्यादा पेड़

दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे, रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, मेरठ-बुलंदशहर (एनएच-235) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जैसी कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बनाई गई हैं या बन रही हैं, जो गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़ और बागपत जिलों में फैली हुई हैं. अधिकारियों ने कहा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई की मिली अनुमति के आंकड़े आसानी से उपलब्ध नहीं थे. पहले बताए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे में चरण 2 (यूपी-गेट से डासना) में लगभग 22,000 पेड़ों की कटाई हुई, जबकि चरण 4 (डासना से मेरठ) में 11,025 पेड़ कटे, जबकि चरण 3 (डासना से हापुड़) में लगभग 5,500 पेड़ों को काट दिया गया था.

NHAI ने किया था 101,500 पेड़ लगाने का वादा

इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों ने तीन चरणों में 101,500 पेड़ लगाने का वादा किया और यूपी वन विभाग को काटे गए पेड़ों के लिए 15 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया था. एफएसआई की रिपोर्ट के अनुसार वन क्षेत्र में एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली सभी भूमि शामिल हैं, जहां वृक्षों का घनत्व 10% से अधिक है. रिपोर्ट में दर्ज वन क्षेत्र में सभी प्रकार की भूमि को शामिल किया जाता है. गौतम बुद्ध नगर के संभागीय वन अधिकारी पी के श्रीवास्तव ने कहा कि एफएसआई रिपोर्ट में पिछले पांच वर्षों में किए गए वृक्षारोपण को ध्यान में नहीं रखा जाएगा.

यूपी में बढ़ा वन क्षेत्र 

पर्यावरणविदों का कहना है कि जिलों में हर साल 500,000-700,000 पौधे लगाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि अगर पिछले कुछ वर्षों में वन क्षेत्र में वृद्धि नहीं हुई है, तो कुछ गंभीर योजना बनानी होगी,  क्योंकि आने वाले सालों में और अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं सामने आएंगी और अधिक पेड़ काटे जाएंगे. सड़कों के किनारे और खाली जगह पर अधिक से अधिक पौधे लगाए जाने चाहिए. दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किमी के क्षेत्र में 6.15% की वृद्धि हुई है.

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