उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेयी की हुई शुरुआत, जानें- क्या है खास
फूलदेयी पर्व का इंजतार छोटे-छोटे नौनिहाल बड़ी बेसब्री के साथ करते हैं. यही वजह है कि पहाड़ों की इस लोक परंपरा और लोकपर्व के आज भी कई मायने हैं, जिन्हें सजोंकर रखा गया है. फूलदेयी की शुरुआत आज से हो गई है.
देहरादून: प्रकृति और मानव के बीच संबंध को दर्शाता उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेयी की शुरुआत आज से हो गई है. पौड़ी में इस लोकपर्व को बड़ी शालिनता के साथ छोटे-छोटे बच्चे हर घर की दहलीजों में फूल डालकर मना रहे हैं. बच्चे पर्व को मनाते हुए प्रकृति से खुशहाली के साथ-साथ सुख और समृद्धि की कामना भी कर रहे हैं.
प्रकृति और मानव के बीच का संबंध फूलदेयी पर्व का इंजतार छोटे-छोटे नौनिहाल बड़ी बेसब्री के साथ करते हैं. यही वजह है कि पहाड़ों की इस लोक परंपरा और लोकपर्व के आज भी कई मायने हैं, जिन्हें सजोंकर रखा गया है. छोटे-छोटे बच्चे आसपास के बागीचों से फूल तोड़कर लाते हैं और सुबह-सुबह ही घर की दहलिजों में फूल डालकर आंगन को महका देते हैं. साथ ही साथ ईश्वर से कामना की जाती है कि प्रकृति और मानव के बीच के संबंध निंरतर बने रहें.
बच्चों को दी जाती है दक्षिणा एक माहीने तक फूल डालने के बाद बच्चों को दक्षिणा दी जाती है और उनके उज्जवल भविष की कामना भी की जाती है. वहीं, इस लोकपर्व और विरासत को संजोए बच्चों को देख बुजुर्ग व्यक्तियों के चेहरे भी खिले रहते हैं. बच्चों की बदौलत पहाड़ की संस्कृति आगे बढ़ रही है. हालांकि, पहाडों से हुए पलायन के कारण कई घर विरान हो गए हैं, जिनके लौट आने का इंतजार अब भी होता है.
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