Lok Sabha Election 2024: गांधी परिवार की अमेठी से दूरी, क्या स्मृति ईरानी को मिला वॉक ओवर?
UP Lok Sabha Election 2024: अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने इस बार किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. 25 साल के बाद इस सीट पर गांधी-नेहरू परिवार से कोई उम्मीदवार नहीं है.
Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रही है. 25 साल में यह पहली बार होगा जब कोई गांधी परिवार का सदस्य इस सीट से चुनाव नहीं लड़ेगा. राहुल गांधी को इस बार रायबरेली सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. लेकिन कांग्रेस के इस फैसले पर तमाम सवाल उठ रहे हैं और अलग-अलग राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है.
दरअसल, 1967 में जब अमेठी सीट अस्तित्व में आई उसके बाद से यह सीट गांधी परिवार का गढ़ रही है. पहले 29 सालों तक यहां गांधी परिवार या उनके करीबी ही चुनाव जीतते रहे. राजीव गांधी की हत्या के बाद जब सोनिया गांधी एक्टिव पॉलिटिक्स में नहीं थीं तो तब पहले राजीव गांधी के करीबी सतीश शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया था. अमेठी सीट अस्तित्व में आने के बाद यह पहला मौका था जब कोई गांधी परिवार से यहां चुनाव नहीं लड़ रहा था.
हालांकि राजीव गांधी के निधन के बाद हुए इस चुनाव में सतीश शर्मा ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने सतीश शर्मा को फिर से 1998 में अपना उम्मीदवार बनाया था. तब कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सतीश शर्मा को हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार संजय सिंह ने जीत दर्ज की थी. अमेठी सीट अस्तित्व में आने के बाद यह कांग्रेस की पहली हार थी.
1999 में गांधी परिवार ने फिर संभाली कमान
लेकिन मार्च 1998 में सोनिया गांधी ने जब एक्टिव पॉलिटिक्स में आ गईं और उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद 1999 के चुनाव में वह अमेठी से उम्मीदवार चुनी गईं और बीजेपी उम्मीदवार संजय सिंह कर 3 लाख से अधिक वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. 2004 में यह सीट सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी को दे दी.
2004 से लेकर 2019 तक राहुल गांधी अमेठी से सांसद रहे. उन्होंने 2004, 2009 और 2014 में जीत दर्ज की थी. लेकिन बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा था. यानी इस सीट पर नेहरू-गांधी परिवार की पहली हार थी. तब बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर स्मृति ईरानी ने जीत दर्ज की थी.
अब 2024 में कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है. लेकिन राजनीति के जानकार कांग्रेस के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और इस बीजेपी के वॉक ओवर समझ रहे हैं. कांग्रेस ने इस बार यहां से किशोरी लाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं.
कैसरगंज में बृजभूषण शरण सिंह के बेटे खिलाफ सपा ने उतारा उम्मीदवार, इस चेहरे पर लगाया दांव
बीजेपी नेता का दावा
किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने पर बीजेपी और कांग्रेस अलग-अलग दावे कर रही है. पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, 'राहुल गांधी को अमेठी लड़ना चाहिए था. अमेठी से भागने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पूरे देश में ये संदेश जाएगा कि जो आदमी रोज पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देता था, रोज अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और देश की जनता से कहता था कि डरो मत, वो खुद डर गया.'
जबकि दूसरी ओर बीजेपी नेता शाइना एन.सी. ने कहा, 'अमेठी से लड़ते हैं, अमेठी से हारते हैं. वायनाड से लड़ते हैं, वायनाड से जीतते हैं फिर 5 साल अमेठी जाते ही नहीं और अब रायबरेली से लड़ते हैं. कौन से लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि दादा नहीं तो दादी, बेटा नहीं तो बेटी, बहू नहीं तो दामाद और ये परिवारवाद जो गांधी परिवार में 60 साल से चलता आ रहा है, ये अमेठी और रायबरेली की जनता के साथ धोखा है.'
सीएम पुष्कर सिंह धामी से जब अमेठी और राहुल गांधी से जुड़ा सवाल पूछा गया, तब उन्होंने कहा- 'राहुल गांधी अमेठी से जो उनकी पुश्तैनी सीट थी उस सीट को छोड़कर भाग गए हैं. जिस प्रकार उन्होंने पलायन किया है उसी प्रकार पूरी कांग्रेस पार्टी भी पलायन में जाने वाली है.' बीजेपी ने जब सवाल उठाने शुरू किए तो कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने मोर्चा संभाला और विपक्षी नेताओं को जवाब दिया.
कांग्रेस का जवाब
प्रमोद तिवारी ने कहा- 'वे (किशोरी लाल शर्मा) अमेठी में एक-एक घर, एक-एक कार्यकर्ता और एक-एक परिवार को जानते हैं. परंपरागत रूप से रायबरेली से परिवार के वरिष्ठ सदस्य को चुनाव लड़ाया जाता है. इस समय कांग्रेस में हमारे कोई सर्वोच्च नेता हैं तो वो राहुल गांधी हैं, इसलिए वे अमेठी से यहां आ गए.'
हालांकि ये तो चार जून को परिणाम आने के बाद पता चलेगा कि कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाकर बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी को वॉक ओवर दिया है या नहीं. लेकिन 1998 के चुनाव परिणाम और बीते 2019 के रिजल्ट को ध्यान में रखा जाए तो ये निश्चित है कि गांधी परिवार के उम्मीदवार नहीं रहते यहां कांग्रेस की जीत मुश्किल होगी.