राष्ट्रपिता गांधी की जयंती पर दो अक्टूबर को कर्णप्रयाग में राज्य आंदोलनकारी हरिकृष्ण भट्ट ने चरखा चलाकर सत्याग्रह किया. उन्होंने कहा कि जिन सपनों के लिए उत्तराखंड राज्य की मांग की गई थी आज वह जस के तस है. उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में हो रहे भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था से राज्य आंदोलनकारी आहत हैं. जिसको लेकर यह सत्याग्रह किया जा रहा है.


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के साथ साथ दो अक्टूबर उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए अति महत्वपूर्ण है. क्योंकि उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे राज्य आन्दोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर के रामपुर में गोली चलाई गई थी जिसमें कई आंदोलनकारी शहीद हुए थे. उत्तराखंड राज्य की मांग इसलिए की जा रही थी ताकि पहाड़ों का समुचित विकास हो और यहां का पानी और यहां की जवानी यही के काम आ जाये, लेकिन आज जिस तरह से उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार और बेटियों के साथ जो कृत्य किया जा रहा है उससे न सिर्फ यहां की जनता बल्कि राज्य आंदोलनकारी भी चिंतित हैं.


उत्तराखंड में हो रहे इस तरह के घटनाक्रम को लेकर चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों के प्रदेश अध्यक्ष हरिकृष्ण भट्ट ने कर्णप्रयाग के रामलीला मैदान मंच पर चरखा चलाकर सत्याग्रह किया. उन्होंने आरोप लगाया कि हम आज प्रदेश में हो रहे घटनाक्रम के कारण पश्चयाताप से सत्याग्रह कर रहे है. जिन सपनों को लेकर हमने राज्य की लड़ाई लड़ी थी वह सपने आज भी पूरे नहीं हो पाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में आज न बेटियां सुरक्षित हैं और न ही कानून व्यवस्था, सरकारी नौकरी लाखों रुपए में बेची जा रही है. इसलिए आज हम गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह कर अपना संदेश प्रदेश सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं.


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