प्रयागराज, एबीपी गंगा। संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि दोनों नदियां अभी खतरे के निशान से करीब पांच मीटर नीचे हैं, लेकिन इनका पानी जिस तेज रफ्तार से बढ़ रहा हैं, उससे यह आशंका जताई जाने लगी है कि सोमवार सुबह तक दोनों खतरे का निशान पार कर सकती हैं।


जलस्तर बढ़ने से शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक बाढ़ का खतरा तेजी से मंडराने लगा है। खतरे की आशंका के मद्देनजर प्रशासन ने अलर्ट घोषित कर एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को घर खाली कर सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही पूरे जिले में सौ के करीब बाढ़ चौकियां खोल दी गई हैं, जबकि कछारी इलाकों में कई जगहों पर बाढ़ राहत केंद्र शुरू करने की तैयारी की जा रही है। बाढ़ राहत से जुड़े सभी विभागों के कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं तो इसके साथ ही लोगों की मदद के लिए दो टेलीफोन नम्बरों के साथ कंट्रोल रूम भी खोला गया है।



गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ने का सबसे ज्यादा असर संगम पर पड़ रहा है। बांध के नीचे से संगम जाने वाले सभी रास्ते बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। जिन रास्तों पर दो दिन पहले कार और बाइक फर्राटा भरती थीं, वहां आज पानी भर गया है और नावें चलने लगी हैं। जिस जगह रोज शाम को आरती होती है, वह भी बाढ़ के पानी की आगोश में आ गया है।



जलस्तर बढ़ने से रात के वक्त कई दुकानदारों के सामान बह गए। देश के कोने कोने से संगम आने वाले श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग किनारे पर ही आचमन कर वापस जा रहे हैं। शहर में आबादी वाले निचले इलाकों में अब धीरे-धीरे पानी घुसने लगा है। इससे लोग परेशान हो रहे हैं। तमाम लोगों ने अपनी गृहस्थी बेसमेंट से हटाकर पहली मंजिल पर शिफ्ट कर दी है। प्रशासन ने तमाम एहतियाती कदम उठाए जाने के दावे तो किए हैं, लेकिन संगम पर यह इंतजाम कहीं नजर नहीं आए। साफ तौर पर कहा जा सकता है कि बाढ़ से निपटने की सरकारी कवायद कागजों पर ज्यादा और हकीकत में कम नजर आ रही है।


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