प्रगायराज. संगम नगरी प्रयागराज में अगले हफ्ते से माघ मेले की शुरुआत हो रही है. तकरीबन दो महीने तक चलने वाले आस्था के इस सबसे बड़े मेले में देश-दुनिया से लगभग पांच करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन मेला शुरू होने से ठीक पहले संगम और उसके आस-पास का गंगाजल इतना प्रदूषित होकर आ रहा है कि उसका रंग कहीं लाल तो कहीं मटमैला सा नजर आ रहा है. खुद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने भी यह माना है कि संगम पहुंचने वाला गंगाजल न तो पीने लायक है और न ही आचमन करने लायक. तमाम श्रद्धालु तो गंगाजल की इस हालत को देखने के बाद यहां आस्था की डुबकी लगाए बिना ही मायूस होकर व्यवस्था को कोसते हुए वापस चले जा रहे हैं.
पीएमओ ने की रिपोर्ट तलब
संगम के नजदीक काले और मटमैले गंगाजल को लेकर प्रयागराज से लेकर दिल्ली तक कोहराम मच गया है. पीएमओ ने इस बारे में सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रिपोर्ट तलब कर ली है. पीएमओ से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद जिम्मेदार अफसर आंकड़ों की बाजीगरी में जुट गए हैं. साधू-संतों ने भी इसे लेकर खासी नाराजगी जताई है.
संतों ने इसे बड़ी साजिश करार दिया है और मेला शुरू होने से पहले हालात में बदलाव नहीं होने पर आंदोलन तक की चेतावनी दे दी है. दरअसल, गंगा की यह हालत इसीलिए हो गई है क्योंकि अधिकारियों की लापरवाही के चलते नालों और सीवर का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट से सीधे तौर पर गंगा में गिर रहा है.
डिप्टी सीएम ने भी जताई चिंता
इन दिनों प्रयागराज में ही मौजूद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस पर चिंता जताई है. उन्होंने पूरे मामले में जांच कराए जाने का एलान किया है. डिप्टी सीएम ने संत-महात्माओं को मकर संक्रांति से पहले सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का भरोसा दिलाया है और उनसे किसी तरह का विरोध नहीं करने की अपील भी की है.
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