वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। मोक्षदायिनी मां गंगा का जल कोरोना का खत्मा कर सकता है. वाराणसी के गंगा वैज्ञानिक प्रोफेसर यूके चौधरी का ये दावा है कि गंगा के जल में मिलने वाला बैक्टीरियोफाज कोरोना का खत्मा कर सकता है. इसे लेकर प्रोफेसर ने पीएम और सीएम योगी को पत्र लिखकर गंगा में गोमुख का जल और अप्स्टिम का जल लाने की मांग की है.
औषधियों के गुण से युक्त है गंगा का जल
कोरोना का इलाज ढूंढने के लिये दुनिया के तमाम देश इसकी वैक्सीन तैयार करने में जुटे है, लेकिन वाराणसी के वैज्ञानिक का दावा है कि गंगा का जल कोरोना का खत्मा करने में सक्षम है. वाराणसी के गंगा वैज्ञानिक प्रोफेसर यूके चौधरी का कहना है कि गंगा में कई तरह के ऐसे गुणकारी तत्व हैं जो बड़े से बड़े बैक्टीरिया का खात्मा कर सकता है. अब अगर खाली गंगा में गुणकारी जल छोड़ दें तो गंगा के जल के कारण हवाएं और इसके साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता स्वयं ही कोरोना को खत्म कर देगी.
पौराणिक इतिहास भी गंगाजल की गुणवत्ता को बताता है
गंगा के जल के गुणों को शास्त्र भी मानता है. शास्त्रों की माने तो मोक्षदायिनी ब्रह्मा के कमंडल में भगवान विष्णु के पांव में और भगवान शिव की जटाओं में वास करती हैं. गंगा का जल और तुलसी किसी भी विषाणुजनित रोग के लिए लाभदायी माना जाता है. लिहाजा अब संत भी इस दावे का समर्थन करने लगे हैं. मातृछाया शक्ति पीठ की पीठाधीश्वर साध्वी गीताम्बा तीर्थ की माने तो गंगा पाप नाशिनी हैं तो इसके साथ ही रोगों के इलाज की भी क्षमता रखती हैं.
गंगा वैज्ञानिक के दावे के बाद चर्चा का बाजार गर्म
विश्व में कोरोना से निजात के लिए वैक्सीन जब भी तैयार हो लेकिन काशी के गंगा वैज्ञानिक का दावा और दावे पर पत्र लिखकर गंगा में गोमुख के जल की मात्रा बढ़ाने की मांग की चर्चा जोरों पर है. अब देखना ये होगा कि सरकार का अगला निर्णय क्या होता है?