उत्तरकाशीः अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर खुलेंगे गंगोत्री धाम के कपाट, श्रद्धालुओं को नहीं मिली प्रवेश की अनुमति
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाने की तैयारी शुरू हो गई है. अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर 15 मई को सुबह 7 बजकर 31मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे. कोरोना काल के चलते धाम में किसी भी श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
देहरादूनः उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर 15 मई को सुबह 7 बजकर 31मिनट पर खुलेंगे. कोरोना काल के चलते धाम में किसी भी श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. जिला प्रशासन ने मात्र 21 लोगों को मां गंगा की उत्सव डोली के साथ चलने की अनुमति प्रदान की है. वंही तीर्थपुरोहितों और पांच मंदिर समिति ने 21 लोगों को मां गंगा की डोली के साथ मास्क और सोसल डिस्टेंस से चलने का फैसला किया है.
शीतकालीन प्रवास से 14 मई को 11बजकर 45 मिनट पर मां गंगा की उत्सव डोली मुखवा (मुखीमठ) से गंगोत्री के लिए रवाना होगी. रात्रि विश्राम भैरव बाबा मंदिर पर होगा, जंहा पर आनन्द भैरव देवता और मां गंगा जी की विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी. ठीक 15 मई को सुबह 5 बजे भैरव घाटी से 8 किलोमीटर दूरी तय कर के ठीक 6 बजकर 30 मिनट पर गंगोत्री धाम के प्रांगण में पहुंच जाएगी. जहां ठीक 7 बजकर 31 मिनट पर अक्षीय तृतीया के पावन पर्व (आखातीज) को मृग श्री नक्षत्र मिथुन लग्न शुभ वेला पर मां गंगा के कपाट विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए अगले 6 माह के लिए खोल दिए जाएंगे.
अक्षय तृतीया को कुछ भी नया शुरू करने के लिए एक बेहद आशाजनक दिन माना जाता है. इस दिन लोग घर पर विशेष प्रार्थना करते हैं और सोना, चांदी और कीमती सामान भी खरीदते हैं क्योंकि यह माना जाता है की ऐसा करने से सौभाग्य आता है.
संस्कृत शब्द अक्षय का अर्थ 'अंतहीन' होता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में अक्षय तृतीया के संदर्भ हैं. कुछ पुस्तकों का मानना है कि सत युग और त्रेता युग की शुरुआत इसी दिन हुई थी. भगवान गणेश ने इस दिन महाकाव्य 'महाभारत' की रचना शुरू की थी. अक्षय तृतीया के दिन, भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को समृद्धि और धन के साथ इश्वर्य लाभ दिया था. यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती भी है. इस दिन पृथ्वी पर पवित्र नदी गंगा का अवतरण भी हुआ था.
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