पुलिस जांच शुरू होते ही सोशल मीडिया से गायब हुए गैंगस्टर विकास दुबे के फैन पेज
कानपुर पुलिस ने अपनी निगरानी टीम और साइबर सेल को और अधिक विवरण एकत्र करने और इन पेजों को बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.
![पुलिस जांच शुरू होते ही सोशल मीडिया से गायब हुए गैंगस्टर विकास दुबे के फैन पेज Gangster Vikas Dubey's fan pages disappear from social media as police investigation begins पुलिस जांच शुरू होते ही सोशल मीडिया से गायब हुए गैंगस्टर विकास दुबे के फैन पेज](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/07/13141008/vikas-dubey.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
लखनऊ: कानपुर पुलिस द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद सोशल मीडिया से गैंगस्टर विकास दुबे को समर्पित फैन पेजेज तेजी से गायब होने लगे हैं. अब मुश्किल से दो ही फैन पेज बच गए हैं. कानपुर (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, पुलिस ने विकास दुबे के पेजों के बारे में तब जाना, जब सर्विलांस टीमों ने इन पेजों को सक्रिय पाया.
उन्होंने कहा, "जांच चल रही है. हमने चेक किया है, सामग्री बेहद संवेदनशील है. कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हम फेसबुक को पत्र भेजकर इन पेजों को ब्लॉक करने के लिए भी कहेंगे, लेकिन पहले हम अपनी जांच पूरी करेंगे." विकास दुबे ने इस साल 3 जुलाई को बिकरू गांव में घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों को मार डाला था, जिसके बाद वह सुर्खियों में आया था. दुबे को एक सप्ताह बाद मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किए जाने के बाद कानपुर में एक कथित मुठभेड़ में मार दिया गया था.
अब सोशल मीडिया से गायब होने लगे हैं पेज
विकास दुबे को समर्पित कुछ फेसबुक पेजों में स्वचालित हथियारों का महिमामंडन करना, गैंगस्टर का महिमामंडन करना और सुपारी लेकर हत्या करने जैसी चीजें पाई गईं. इन पेजों पर संवेदनशील और आपत्तिजनक पोस्ट थे. पेजों का नाम 'विकास दुबे कानपुर वाला' और 'विकास दुबे अमर रहे' जैसे थे. वहीं कुछ पेज 'विकास दुबे फैन पेज', 'ब्राह्मण शिरोमणि पंडित विकास दुबे' और 'विकास दुबे गैंगस्टर' जैसे थे, जो अब सोशल मीडिया से गायब होने लगे हैं.
कानपुर पुलिस ने अपनी निगरानी टीम और साइबर सेल को और अधिक विवरण एकत्र करने और इन पेजों को बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. संयोग से ऐसा पहली बार नहीं है जब गैंगस्टरों के सोशल मीडिया पर मजबूत स्थिति पाई गई है. मारे गए कई डॉन को उनके दोस्तों और समर्थकों द्वारा 'जीवित' रखा जा रहा है जो समय-समय पर आइटम पोस्ट करते रहते हैं, ताकि इन डॉन की यादों को पुनर्जीवित किया जा सके और लोगों से जुड़ सकें.
70 और 80 के दशक में उत्तर भारत में क्राइम सिटी का निर्माण करने वाले गोरखपुर के डॉन वीरेंद्र प्रताप शाही की 1997 में लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसके फेसबुक की डिस्प्ले तस्वीर पर 'शेर-ए-पूर्वाचल' लिखा हुआ है और दहाड़ते हुए शेर की तस्वीर पोस्ट की गई है. वहीं विभिन्न त्योहारों पर उनके समर्थकों द्वारा शुभकामनाएं दी जाती रहती हैं. डॉन की मौत के 23 साल बाद भी पेज पर 2,000 से अधिक लाइक्स और इतनी ही संख्या में फॉलोअर्स भी हैं.
श्रीप्रकाश शुक्ला का भी है पेज
फेसबुक पर एक और मारा गया डॉन 'सक्रिय' है, जो श्रीप्रकाश शुक्ला है. उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे खूंखार बदमाशों में से एक अंडरवल्र्ड में शुक्ला की गतिविधियों के कारण 1998 में उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था. उसी साल, गाजियाबाद में एसटीएफ द्वारा गैंगस्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
मुन्ना बजरंगी की 2018 में बागपत जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसका भी एक फेसबुक पेज है, लेकिन उस पर कोई पोस्ट नहीं हैं. उसकी प्रोफाइल का दावा है कि वह 'माफिया डॉन' है.
ये भी पढ़ें-
39 सालों से न्याय की आस लगाए दुनिया छोड़ गए बेहमई कांड के वादी राजाराम
छत्तीसगढ़ नक्सली हमले में शहीद हुआ मुजफ्फरनगर का लाल, राष्ट्रीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)