प्रयागराज, एबीपी गंगा। संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों ही नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. दोनों नदियां तेजी से खतरे के निशान की तरफ बढ़ती जा रही हैं. बाढ़ का पानी अभी आबादी में नहीं घुसा है, लेकिन इसने लोगों की आस्था को ज़रूर प्रभावित किया है. प्रयागराज में संगम जाने वाले सभी रास्ते करीब आधा किलोमीटर तक डूब गए हैं. तीनों बड़े आरती स्थल बाढ़ के पानी में समा गए हैं तो संगम के आस पास के सभी पक्के घाट भी गंगा और यमुना के बढे हुए पानी की चपेट में आ गए हैं.
संगम जाने वाले जिन रास्तों पर दो तीन दिन पहले दो और चार पहिया वाहन तेजी से फर्राटा भरते थे, वहां आज नावें चल रही हैं. संगम के रास्ते पर पड़ने वाली अस्थाई दुकानों और सफाई कर्मियों की झोपड़ियां भी पानी में लगातार डूबती जा रही हैं. देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु पिछले कई दिनों से संगम तक नहीं जा पा रहे हैं.
उन्हें सड़क पर गंगा मइया का आचमन करने के बाद मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है. संगम क्षेत्र में अब सिर्फ प्रतीकात्मक आरती ही हो रही है. लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर के बाहर के पार्क तक पानी आ गया है. अगर दोनों नदियां इसी तरह रोज़ाना करीब बीस सेंटीमीटर की रफ़्तार से बढ़ती रही हैं तो इस मंदिर का गर्भगृह भी अगले दो दिनों में डूब सकता है.
पितृ पक्ष की वजह से लोगों के पिंडदान - तर्पण और श्राद्ध की रस्में भी प्रभावित हो रही हैं. हालांकि संगम क्षेत्र में नाव चलाने वाले मल्लाहों को उम्मीद है कि अगर गंगा मइया लेटे हुए हनुमान जी को स्नान करा देंगी तो बजरंग बली कुछ ऐसा चमत्कार कर देंगे, जिससे कोरोना की महामारी ख़त्म हो जाएगी. जलस्तर लगातार बढ़ने के बावजूद सरकारी इंतजाम अब भी कागजों पर ही ज़्यादा नज़र आ रहे हैं.
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