Uttarakhand Latest News: देश के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाए गए टिहरी डैम की झील में पुरानी टिहरी शहर को डूबो दिया गया था और यहां के लोगों को अन्य जगहों पर विस्थापित कर दिया गया था लेकिन जब भी झील का जलस्तर कम होता है तो पानी में डूबे उस शहर की इमारतें और अवशेष दिखने से टिहरी वासियों में पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और उस शहर को याद कर उनके आंखे भर आती हैं. 


टिहरी वासियों को किया गया था विस्थापित 


देश की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए गढ़वाल में अपनी अलग संस्कृति और पहचान रखने वाले पुरानी टिहरी शहर को डूबो दिया गया और टिहरी वासियों को देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार विस्थापित किया गया और एक नए शहर नई टिहरी का उदय हुआ. वर्ष 2005 में पुरानी टिहरी शहर पूरी तरह से टिहरी झील में समा गया. इन दिनों झील का जलस्तर घटने से टिहरी झील में डूबी पुरानी टिहरी की इमारतें जिसमें राजा का महल, कौशल दरबार, घंटाघर और रानी का महल दिखाई देता है जिसे देखकर पुरानी टिहरी वासियों की यादें ताजा हो जाती हैं.




गढ़वाल क्षेत्र का केंद्र बिन्दु कहे जाने वाले पुरानी टिहरी शहर के झील में डूबने के बाद उसकी पहचान भी धीरे धीरे कम होती जा रही है. टिहरीवासियों के लिए नई टिहरी शहर को तो बनाया गया लेकिन पुरानी टिहरी की तर्ज पर यहां आज भी उन सभी चीजों की कमी है जो उस शहर की पहचान हुआ करती थी. लोगों का मानना है कि नई टिहरी में पुरानी टिहरी का एक म्यूजियम बनाया जाना चाहिए.


जानें क्या कहते हैं टिहरीवासी?


स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब जब झील का पानी नीचे जाता है और राजा का महल उभर कर आता है जो उसके अवशेष वहां हैं उससे हमारा एक भावनात्मक अटैचमेंट हैं, क्योंकि टिहरी में हम लोग रहे हैं. उनका  जो स्कूल था वो राजा के महल से मात्र एक से दो किलोमीटर दूर था, और वे अकसर छुट्टी के बाद या स्कूल टाईम में भी कई बार राजा के महल की तरफ निकल जाते थे.


स्थानीय लोगों का कहना है कि साल भर पानी रहता है कभी महल पानी के अंदर रहता है. तो कभी बाहर, लेकिन जितने समय वो बाहर रहता है तो उसको थोड़े समय के लिए ही सही टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में डेवलप किया जाए, और जितने समय तक वो महल बाहर रहता है तो वहां पर लोकल लोगों और टूरिस्ट के लिए सरकार ऐसा प्रावधान करें जिससे वो भी संरक्षित रह सके और हमारी कुछ पुरानी यादें भी संरक्षित रह सके, सरकार उस पर कोई रास्ता निकाले.


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