Uttarakhand: सरकार की उदासीनता की मार झेल रहा गर्जिया माता मंदिर, तिरपाल से ढकने को मजबूर मंदिर प्रशासन
Uttarakhand News: रामनगर में कोसी नदी पर स्थित गर्जिया माता मंदिर की पहाड़ी दरकने की कगार पर पहुंच चुकी है. जिसे बारिश से बचाने के लिए तिरपाल से ढका गया है.
Ramnagar News: उत्तराखंड के रामनगर में कोसी नदी के बीचों-बीच एक टीले पर गर्जिया माता मंदिर चौकी स्थित है. यह मंदिर कई सौ वर्ष पुराना है, इस मंदिर की मान्यता है कि यह मंदिर गिरिराज की पुत्री गिरजा देवी का है. जिन्हें मां पार्वती का स्वरूप भी माना जाता है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी आता है. जानकारी के अनुसार कई सौ वर्ष पूर्व यह मंदिर कोसी नदी में बह कर आया था और बाबा भैरवनाथ ने उनसे यहां ठहरने का आवाहन किया, जिसके बाद यह मंदिर यही स्थापित हो गया.
एक ओर जहां स्थानीय लोग इनको अपनी कुलदेवी भी मानते हैं. वहीं देश के कई बड़े-बड़े नेता इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. फिलहाल आज यह मंदिर सरकार की उदासीनता के चलते अपना अस्तित्व धीरे-धीरे मिटते हुए देख रहा है. दरअसल मंदिर की पहाड़ी में अब बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं और पहाड़ी को खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण यह पहाड़ी कभी भी दरक कर गिर सकती है. वहीं स्थानीय लोग इसे बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं.
बारिश से हो सकता है नुकसान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में मंदिरों के लिए चलने वाली वर्णमाला योजना में भी मंदिर को शामिल किया है, लेकिन उसके बावजूद इसे बचाने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. फिलहाल उत्तराखंड में हो रही लगातार भारी बारिश के बीच, मंदिर को बारिश से बचाने के लिए इसे चारों ओर से तिरपाल से ढक दिया गया है. वहीं यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि अगर मंदिर को कुछ भी होता है तो सीधे तौर पर उनकी श्रद्धा पर प्रहार होगा.
गर्जिया माता मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है, जिसका इतिहास काफी पुराना है और यहां केवल उत्तराखंड के ही नहीं पूरे देश के श्रद्धालु आते हैं. एक ओर सरकार मंदिरों के जीर्णोद्धार की बात करती है, वहीं दूसरी ओर यह मंदिर धीरे-धीरे टूट रहा है, जिस ओर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है.
तिरपाल से ढका गया मंदिर
मंदिर समिति के लोगों को कहना है कि सरकार की ओर से आईआईटी रुड़की से कुछ लोगों की एक टीम भेजी गई थी, जिन्होंने इसका निरीक्षण किया लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ. मंदिर समिति का कहना है कि 'हम तो प्रशासन से लगातार मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इसे ठीक किया जाए अन्यथा कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है. फिलहाल इसे बचाने के लिए हमने इसे तिरपाल से ढक दिया है ताकि बारिश के पानी से इसे कोई नुकसान नहीं हो.'
वहीं उत्तराखंड से सांसद और केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट का कहना है कि 'सरकार इस विषय पर बेहद गंभीर है और इसके लिए हमने संसद में भी आवाज उठाई थी. हम जल्द से जल्द प्रयास कर रहे हैं कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा सके और इस मंदिर की पहाड़ी को बचाने की कोशिश की जाए.' फिलहाल सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं क्योंकि जिस तरह से मंदिर की पहाड़ी में लगातार दरारे पड़ रही हैं, उससे धीरे-धीरे मंदिर अपना अस्तित्व खो रहा है.
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