उत्तराखंड: दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार गड़तांग गली पर्यटकों के लिए खुली, जानें- खास बात
गड़तांग गली के पुनर्निर्माण का कार्य पूरा हो गया है और इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. ये दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है.
Uttarakhand Gartang Gali: भारत-तिब्बत व्यापार का गवाह और दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गड़तांग गली की सीढ़ियां अब नए रूप में देखने लगी हैं. गंगोत्री नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. जिला प्रशासन की ओर से लोक निर्माण विभाग गड़तांग गली की सीढ़ियों का पुनर्निर्माण कार्य 7 माह बाद पूरा किया गया है. वहीं, गड़तांग गली का पुनर्निर्माण पूरा होने के बाद तो भारत-तिब्बत व्यापार में प्रयोग होने वाले पैदल मार्ग पर भी नेलांग तक ट्रैकिंग की सम्भवानाएं बन गई हैं.
चट्टानों को काटकर बनाया गया सीढ़ीदार ट्रैक
भैरव घाटी के समीप गड़तांग गली में खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक बनाया गया है. इसे प्रचाीन समय में सीमान्त क्षेत्र में रहने वाले गांव जादूंग, नेलांग को हर्षिल क्षेत्र से पैदल मार्ग के माध्यम से जोड़ा गया था. इस मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार भी करते थे. सेना सीमा की निगरानी के लिए भी इस मार्ग का उपयोग करती थी.
नए अंदाज में दिखने लगी हैं सीढ़ियां
वर्षों से अपने पुनरुद्धार की बाट जोह रही गड़तांग गली की करीब 150 मीटर लम्बी सीढ़ियां अब अपने नए अंदाज में दिखने लग रही हैं. करीब 64 लाख 10 हजार की लागत से गड़तांग गली का पुनर्निर्माण किया गया है. वर्तमान में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क अंतर्गत गड़तांग गली के क्षतिग्रस्त ट्रैक मार्ग जिसकी लम्बाई 136 मीटर तथा चौड़ाई औसतन 1.8 मीटर है, लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक का पुर्ननिर्माण किया गया है. गड़तांग गली पूरी तरह पर्यटकों के जाने के लिए सुरक्षित होगी.
कोविड नियमों का हो पालन
डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि गड़तांग गली के पुनर्निर्माण का कार्य पूरा हो गया है और इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. डीएम ने उप निदेशक गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क एवं जिला पर्यटन विकास अधिकारी को निर्देशित किया है कि ट्रैक में आने वाले पर्यटकों से कोविड एसओपी और अन्य बंदिशों का पालन करवाना सुनिश्चित करें. साथ ही भैरव घाटी के पास चेक पोस्ट बनाकर पर्यटकों का पंजीकरण करना सुनिश्चित करें.
इंजीनियरिंग की है मिसाल
उप निदेशक रंगनाथ पांडे उत्तरकाशी ने बताया कि, कहा जाता है कि 17वीम सदी में नेलांग-जादूंग के एक सेठ व्यापारी के कहने पर पेशावर के पठानों ने गड़तांग गली के ऊपर खड़ी चट्टानों पर करीब 150 मीटर लम्बी सीढ़ियां तैयार की थी, जो आज भी इंजीनियरिंग के लिए एक मिसाल है. इन सीढ़ियों से भारत-तिब्बत के बीच व्यापार किया जाता था, जो भारत-चीन युद्ध के बाद बन्द हो गया. वहीं, युद्ध के समय अंतरराष्ट्रीय सीमा तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना ने भी इसी मार्ग का प्रयोग किया था.
सुरक्षा का रखा गया है खास ध्यान
पर्यटकों और निर्मित ट्रैक की सुरक्षा को देखते हुए ट्रैक में आवागमन के लिए एक बार में अधिकतम 10 लोग आपस में एक मीटर की दूरी बनाकर चलेंगे. ट्रैक में झुंड बनाकर आवागमन, बैठना मना होगा. ट्रैक पर अति उत्साहित होकर उछल-कूद, डांस करने पर प्रतिबंध है. सुरक्षा के लिहाज से ट्रैक की रेलिंग से नीचे झांकना मना है. ट्रैक की सुरक्षा को देखते हुए ट्रैक क्षेत्र में धूम्रपान करना और अन्य ज्वलनशील पदार्थ ले जाना वर्जित है.
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