Uttar Pradesh News: दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) जिले में लोगों को दूषित पानी बीमार कर रहा है. ज्यादातर लोगों को दूषित पानी का इस्तेमाल करने से पेट से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों में होने वाली परेशानियों और बीमारियों की रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट 17 जुलाई को जिले के 33 स्वास्थ्य केंद्रों पर लगाए गए मुख्यमंत्री आरोग्य मेले (Chief Minister health fair) के हिसाब से जारी की गई है. मेले में आए मरीजों और उनकी रिपोर्ट के हिसाब से उनमें पेट, स्किन और सांस से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं क्योंकि सबसे ज्यादा इससे ही जुड़े मरीज शिकायत लेकर पहुंचे थे.


दूषित पानी से बढ़ रहा संकट
दरअसल दूषित पानी से लोगों के बीच बीमारियों का संकट बढ़ रहा है. इसको लेकर आरोग्य मेले के नोडल अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि वैसे तो दूषित पानी का इस्तेमाल शरीर को हमेशा ही नुकसान पहुंचाता है, लेकिन मॉनसून के दौरान दूषित पानी शरीर पर दोहरा प्रभाव डालता है क्योंकि इस मौसम में छोटे-छोटे जीवाणु पानी के जरिए शरीर में घुस जाते हैं, जिससे लोगों को पीलिया, डायरिया और एसिडिटी की समस्या होने लगती है. कई बार इससे मरीज की हालत गंभीर भी हो जाती है. उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में दूषित पानी के इस्तेमाल से स्किन भी खराब हो जाती है. बहुत से लोगों में खुजली रैशेज और दाद जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.


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पानी उबालकर पीना जरूरी
स्वास्थ्य विभाग की माने तो मौजूदा समय में प्रदूषण कि समस्या बढ़ गई है और जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ रहा है वैसे ही पानी में नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्व भी बढ़ते जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात कि आप इन्हें खुली आंखों से देख नहीं सकते और यह छानने के बाद भी पानी में ही रहते हैं इसलिए इनसे बचने के लिए बेहतर हो की लोग पानी उलाबाकर पिएं इसके साथ ही ध्यान रखें कि पीने वाले पानी का टीडीएस कम से कम 500 से ज्यादा न हो. वहीं पानी में अगर आयरन या मैग्नीशियम की मात्रा भी ज्यादा होती है तो उससे त्वचा को नुकसान होता है.


बता दे 17 जुलाई को जिले में मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का आयोजन किया गया था, जिसमें कुल 1920 मरीज पहुंचे थे जिनमें सबसे ज्यादा मरीजों को पेट से जुड़ी शिकायत थी. पेट से जुड़े 369 मरीज स्वास्थ्य मेले में पहुंचे, जबकि 358 मरीजों में सांस लेने में तकलीफ कि समस्या थी जिसकी उन्होंने जांच करवाई. इसके अलावा मानसून के साथ ही 349 लोगों ने त्वचा से संबंधित रोगों कि जांच करवाई.


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