गाजियाबाद में 29 शिक्षण संस्थानों को GDA का नोटिस, यूपी के मंत्री का इंजीनियरिंग कॉलेज भी शामिल
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की नींद अब निर्माण के बाद खुली है. जीडीए ने 29 कॉलेजों को नोटस भेजा है. उन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने की चेतावनी दी गई है.
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गाजियाबाद: बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के धड़ल्ले से इंजीनियर और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट चला रहे 29 कॉलेजों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने नोटिस जारी किया है. इन कॉलेजों को चेतावनी दी गई है कि, अगर उन्होंने 15 दिन के अंदर कंपलशन सर्टिफिकेट आवेदन नहीं दिए तो उनके खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी. खास बात यह है कि, 29 कॉलेजों में उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्रदेश राज्य मंत्री अतुल गर्ग का कॉलेज काइट भी शामिल है. जिन कॉलेजों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें से 10 कालेज तो ऐसे हैं जिन्होंने प्राधिकरण से नक्शा तक पास नहीं कराया और वह जीडीए से बिना अनुमति के ही छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.
29 संस्थानों को नोटिस
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने मोदीनगर व मुरादनगर क्षेत्र में चल रहे 29 शिक्षण संस्थानों को चिन्हित किया है. जिन्होंने बिना नक्शा पास कराए और कंप्लीशन सर्टिफिकेट बिना कॉलेजों का संचालन कर रखा है. इन कॉलेजों में बड़े नाम है आईटीएस डेंटल कॉलेज, कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, केएन मोदी फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, यूनिक इंस्टीट्यूट, एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट मोदीनगर, आरडी इंजीनियरिंग कॉलेज और आईपीएम कॉलेज शामिल है. इनमें कृष्णा इंजीनियरिंग कॉलेज प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अतुल गर्ग का है. विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की माने तो पहले इन कॉलेजों को प्रदेश सरकार की समन शुल्क योजना के तहत नियमितीकरण करने के लिए प्रयास किया जाएगा और अगर इन कॉलेजों ने इसके लिए आवेदन नहीं किया तो संबंधित कॉलेजों के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी.
कार्रवाई पर सवाल
प्राधिकरण की इस कार्रवाई पर बड़ा सवाल यह है कि, जब अवैध निर्माण हो रहे होते हैं तो उस समय प्राधिकरण के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांध कर बैठे रहते हैं. लेकिन जब अवैध निर्माण हो जाते हैं तो प्राधिकरण कार्रवाई का डर दिखाकर नियमित करने की बात करते हैं. प्राधिकरण की इस कार्रवाई को कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार से जोड़कर भी देखा जाता है जिससे इस पर सवाल खड़े होते हैं.
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