Gorakhpur Gita Press: विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस के नाम पर फ्रॉड का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. ताजा मामला मध्य प्रदेश का है. यहां पर गीता प्रेस से छपने वाली कल्याण पत्रिका के नाम पर 300 रुपए की रसीद घर-घर जाकर काटने का मामला सामने आया है. एक ग्राहक द्वारा शिकायत के बाद गीता प्रेस प्रबंधन ने मध्य प्रदेश के डीजीपी से गीता प्रेस को बदनाम करने वाले शख्स और लोगों पर कार्रवाई की मांग की है. ट्रस्टी ने साफ किया है कि गीता प्रेस कभी घर जाकर रसीद नहीं काटता है. इसकी शिकायत गोरखपुर के साइबर सेल में भी की गई है. आरोपी की फोटो सीसीटीवी में कैद हुई है.
गोरखपुर के गीता प्रेस से कल्याण पत्रिका पूरे देश और विदेशों में भी जाती है. इसके लिए 90 प्रतिशत आनलाइन बुकिंग की जाती है. gitapress.org साइट के माध्यम से अपनी प्रति बुक करने में फ्रॉड से बचा जा सकता है. ये पूरी तरह से विश्वसनीय है. गीता प्रेस घर-घर जाकर रसीद नहीं काटता है. उनकी ब्रांच और स्टेशन स्टाल के अधिकृत विक्रेता के यहां ही रसीद रहती है. उन्हें ही इसके लिए अधिकृत किया गया है. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में एक शख्स द्वारा घर-घर जाकर रसीद काटकर 300 रुपए बुकिंग के नाम पर वसूला जा रहा है. ये पूरी तरह से फ्रॉड है.
इस रसीद को फर्जी तरीके से छपवाकर घर और दुकान पर अवैध तरीके से रुपए वसूले जा रहे हैं. इससे गीता प्रेस की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है. जालसाज द्वारा कल्याण पत्रिका के वार्षिक सदस्य बनाने के नाम पर ये फर्जी रसीद काटकर वसूली की जा रही है. उसकी तस्वीर भी सीसीटीवी में कैद हुई है.
गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने क्या कहा?
गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने बताया कि गीता प्रेस की कल्याण पत्रिका का 99वां वर्ष चल रहा है. उन्होंने बताया कि कल्याण अति प्रसिद्ध पत्रिका है. ये पूरे हिन्दुस्तान और विदेशों में भी जाती है. इसके लिए 300 रुपए शुल्क है. जो ग्राहक हैं उन्हें पता है. इसके नाम और प्रसिद्धि की वजह से लोग फ्रॉड के शिकंजे में आ जा रहे हैं. कुछ गलत लोग रसीद बनाकर गीता प्रेस के नाम पर घर-घर जाकर धन वसूल कर रहे हैं. जो नितांत गलत है. इसकी सूचना मध्य प्रदेश से उन्हें एक ग्राहक ने दी है. जो ठगी का शिकार हो चुका था.
ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल ने बताया कि इसकी शिकायत उन्होंने गोरखपुर के साइबर सेल में की है. उन्होंने मध्य प्रदेश के डीजीपी से भी संपर्क किया जा रहा है. इस फ्रॉड करने वाले युवक का चित्र भी उनके पास आया है. जो बैठकर रसीद काट रहा है, उसके ऊपर रोक लगाई जाए और संस्था को बदनाम होने से बचाया जाए. गीता प्रेस किसी भी ग्राहक के घर जाकर रसीद नहीं काटता है. गीता प्रेस की ब्रांचों या स्टेशन स्टाल के अधिकृत विक्रेता के यहां रसीद रहती है. जो इसे काटने के अधिकारी हैं. आजकल 90 प्रतिशत काम आनलाइन हो रहा है. जो गीता प्रेस की वेबसाइट gitapress.org है. उसके माध्यम से ही सदस्य बनना चाहिए, जिससे किसी भी तरह के फ्रॉड की गुंजाइश नहीं है.
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