Joshimath Land Subsidence: जोशीमठ भू-धंसाव पर GSI की रिपोर्ट आने से हड़कंप, उत्तराखंड में बंद होंगे कई प्रोजेक्ट?
Uttarakhand News: जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट सामने आने के बाद उत्तराखंड सरकार में हड़कंप मचा हुआ है. आपदा प्रबंधन सचिव रणजीत सिंह ने बैठक बुलाने की बात कही है.
Uttarakhand News: जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने चमोली (Chamoli) जिले के जोशीमठ (Joshimath) भू धंसाव मामले की रिपोर्ट केंद्र के साथ राज्य सरकार को भी सौंप दी है. रिपोर्ट सामने आने के बाद उत्तराखंड शासन में हड़कंप मचा हुआ है. जीएसआई की रिपोर्ट के बाद उत्तराखंड में कई बड़े प्रोजेक्ट बंद होने की आशंका जताई जाने लगी है. जोशीमठ और औली की पहाड़ियों में सड़क चौड़ीकरण जैसी गतिविधियों से बचने की सिफारिश की गई है. जीएसआई की रिपोर्ट में जोशीमठ और औली के निर्माण कार्यों पर चेतावनी है. आपदा प्रबंधन सचिव रणजीत सिंह ने कहा कि शासन को रिपोर्ट प्राप्त हुई है. जीएसआई की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है.
उत्तराखंड में बड़े प्रोजेक्ट पर मंडराया खतरा
अधिकारियों की बैठक बुलाकर जीएसआई की सिफारिश पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने पुष्टि की कि जोशीमठ और औली में निर्माण कार्य नहीं करने को कहा गया है. बैठक में उचित फैसला लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आगे कुछ किया जा सकता है. पिछले साल जनवरी 2023 में जमीन धंसने के मामले सामने आए थे. जोशीमठ में 65 फीसदी घरों को नुकसान पहुंचा था. आपदा पर उत्तराखंड सरकार के साथ साथ केंद्र ने भी चिंता जताई थी. केंद्र और राज्य की शीर्ष वैज्ञानिक एजेंसियों को जोशीमठ भू-धंसाव की समस्या और कारणों का अध्ययन करने का जिम्मा मिला था. अब जोशीमठ भू धंसाव की वैज्ञानिक रिपोर्ट सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है.
जोशीमठ भू धंसाव की रिपोर्ट क्या कहती है
आपदा का कारण बेतरतीब बुनियादी ढांचे और जल निकासी की समस्या को बताया गया है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार, नाजुक पहाड़ में आई दरारों का कारण एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना नहीं थी. जीएसआई की रिपोर्ट में आपदा से बचाव के उपाय भी सुझाए गए हैं. पनबिजली परियोजना का विरोध करने वाले लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पिछले साल 2 जनवरी से 8 जनवरी के बीच बड़े पैमाने पर हुए धंसाव के लिए सुरंग को जिम्मेदार ठहराया था.
जोशीमठ के पुनर्निर्माण की बढ़ी चुनौती
विशेषज्ञों की ओर से तैयार की गई राज्य सरकार की मूल्यांकन रिपोर्ट सितंबर में आई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि टाउनशिप के 2152 घरों में से 1403 प्रभावित हुए थे. 'बिल्ड बैक बेटर' सिद्धांत के अनुरूप 472 घरों का पुनर्निर्माण किया जाएगा. 931 घरों की मरम्मत या रेट्रोफिटिंग की जानी थी लेकिन जोशीमठ के स्थानीय लोग अभी भी जमीन और घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं. शासन लोगों को मनाने में लगा हुआ है. फिलहाल जोशीमठ का पुनर्निर्माण रिपोर्ट के बाद खटाई में पड़ सकता है. रिपोर्ट का असर उत्तराखंड की कई परियोजनाओं पर भी देखने को मिल सकता है.
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