VIP Vehicle Number: गाजियाबाद में हर साल गाड़ियों के 1500 वीआईपी नंबर हो जाते हैं बर्बाद, इस वजह से नहीं खरीदते लोग
VIP Vehicle Number: उत्तर प्रदेश मोटरयान नियमावली 1998 के तहत परिवहन विभाग द्वारा जारी होने वाले नंबरों में शासन की ओर से चार श्रेणी निर्धारित की गई हैं. जिनके लिए अलग-अलग दाम चुकाने होते हैं.
Ghaziabad VIP Vehicle Number: गाड़ियों की वीआईपी नंबर (VIP Number) को लेकर अक्सर लोगों के बीच खासा क्रेज देखने को मिलता है, जिसके बाद कई बार आपको काफी ऊंचे दाम तक चुकाने पड़ते हैं. गाजियाबाद (Ghaziabad) में महंगे दामों की वजह से हर साल 1500 वीआईपी नंबर बेकार हो रहे हैं, क्योंकि परिवहन विभाग को एक सीरीज में शासन की तरफ से 348 वीआईपी नंबर तय है लेकिन इन नंबरों के महंगे होने की वजह से एक सीरीज में सिर्फ 150 से 175 नंबर ही बिक पाते है, जिसकी वजह से कई वीआइपी नंबर बेकार हो रहे हैं.
उत्तर प्रदेश मोटरयान नियमावली 1998 के तहत परिवहन विभाग द्वारा जारी होने वाले नंबरों में शासन की ओर से चार श्रेणी निर्धारित की गई हैं. इनमें अति आकर्षक नंबरों की श्रेणी में कुल 19 नंबर ऐसे हैं जिन पर सबसे ज्यादा बोली लगती है. शासन की ओर से इन नंबरों के लिए सरकारी बोली दोपहिया वाहन के लिए 20 हजार और चार पहिया वाहन के लिए एक लाख रुपए निर्धारित है. इसके बाद अति महत्वपूर्ण पंजीयन नंबर में 46 नंबर निर्धारित है. इन्हें दोपहिया वाहन दस हजार और चार पहिया वाहन 50 हजार रुपए में बुक करा सकते हैं. तीसरी श्रेणी आकर्षक पंजीयन नंबर की है. इसमें 96 नंबर वीआइपी हैं. इन्हें खरीदने के लिए दो पहिया वाहन को पांच हजार और चार पहिया वाहन के 25 हजार सरकारी दर निर्धारित है. चौथी श्रेणी महत्वपूर्ण पंजीयन नंबर 187 नंबर है. इन्हें बुक कराने के लिए दोपहिया वाहनों को 3 हजार और चार पहिया वाहनों को 15 हजार खर्च करने पड़ते हैं.
हर साल बेकार हो रहे हैं वीआईपी नंबर
9999 नंबरों की एक सीरीज में 348 नंबर वीआईपी होते हैं. गाजियाबाद की बात करें तो यहां पर ऐसे वीआईपी नंबर में से सिर्फ 150 से 175 नंबर ही हर सीरीज में बिक पाते हैं. जबकि 170 से 200 नंबर हर सीरीज में खत्म हो जाते हैं. इनमें से सबसे ज्यादा महंगे दामों पर नबंर एक बिकता है, जिसके लिए सबसे ज्यादा की बोली लगती है. परिवहन विभाग की अति आकर्षक पंजीयन नंबर किस श्रेणी में 0001 नंबर सबसे महंगे दामों पर बिकता है.
परिवहन विभाग एआरटीओ राहुल श्रीवास्तव ने बताया की 348 वीआईपी नंबर मिलते है, इसके अतिरिक्त फैंसी नंबर है, सबके लिए अलग अलग सीरीज है, जिसके दाम अलग अलग हैं, कुछ सीरीज बीच में ही छूट जाती है, जिसकी वजह से वीआईपी नंबरों का मोह कम हो रहा है, इसकी वजह ये भी है ये बहुत ऊंचे दामों पर बिक रहे हैं.
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