UP News: गाजियाबाद (Ghaziabad) के हापुड़ चुंगी चौराहे समेत कई मुख्य चौराहों पर भीख मांगते हुए बच्चे नजर आ जाते हैं. कई बच्चे जहां आर्थिक हालातों (Economic Condition) के चलते भीख मांगते हैं तो कई बच्चे अपराधियों के चंगुल में फंसकर यह काम करते हैं जिससे न सिर्फ उनका बचपन खराब होता है बल्कि उनका भविष्य भी दांव पर लग जाता है. ऐसे में गाजियाबाद जिला प्रशासन (Ghaziabad District Administration) विशेष अभियान चलाकर सड़क पर भीख मांग रहे बच्चों (Child Begging) को चिह्नित कर उनकी जिंदगी संवारने की शुरुआत कर रहा है.


जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र ने बताया कि गाजियाबाद में बच्चों की सुरक्षा और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार का महिला एंव बाल विकास मंत्रालय और यूपी का  महिला कल्याण विभाग समन्वय स्थापित कर काम कर रहा है. जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर सड़कों पर भीख मांग रहे बच्चों कि जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है. जिसमें सामाजिक संस्थाओं, डिविजनल मजिस्ट्रेट और बाल संरक्षण समितियों की मदद से ऐसे बच्चों को चिह्नित करने का काम किया जा रहा है. जिसमें अभी तक 35 बच्चों को चिह्नित कर लिया गया है और आगे भी चिह्नित करने का काम जारी रहेगा है. 


18 साल की उम्र तक इस तरह दी जाती है आर्थिक मदद


जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र ने बताया, 'बच्चों को चिह्नित करने के बाद उनके सभी दस्तावेज पूरे कराए जाते हैं. जिसके बाद बच्चों को स्कूलों में दाखिल कराने का काम किया जाता है.  उसके  बाद बच्चों का बैंक अकाउंट भी खुलवाया जाता है. मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के तहत ऐसे बच्चों को पंजीकृत कर शिक्षा और पोषण के लिया ढाई हजार रुपए महीने 18 साल की उम्र तक दिया जाता है. इसके अंतर्गत बच्चों के परिजनों को काउंसलिंग भी दी जाती है. जिसमें परिजनों को बच्चों के भविष्य को लेकर शिक्षा का महत्व बताया जाता है. परिजनों को समझाया जाता है कि बच्चों को भीख मांगने के लिए भेजने के बजाय उन्हें स्कूल भेजें. भीख मांगना अपराध की श्रेणी में आता है.'


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