Ghaziabad News: यूपी के गाजियाबाद में पिछले दिनों निजी स्कूल की बस से सिर बाहर निकालने पर एक बच्चे की मौत हो गई थी. जिसके बाद इस मामले की जांच में सामने आया है कि उस स्कूल में बसों का फिटनेस टेस्ट नहीं हुआ था. जिसके बाद शासन की ओर से जिले के सभी स्कूल बसों को सात दिन में जांच करने के निर्देश दिए गए थे. इसके साथ ही बसों की फिटनेस टेस्ट को ले कर लापरवाही करने के मामले में 2 एआरटीओ को भी निलंबित किया गया है. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि अनफिट बसों के सड़क पर दौड़ने का जिम्मेदार कौन है. 

 

गाजियाबाद में 765 स्कूली बसें अनफिट

एक रिपोर्ट के मुताबिक गाजियाबाद में 166 स्कूलों में 765 बसें हैं जो पूरी तरह से अनफिट है. इन बसों का अब तक कोई फिटनेस टेस्ट भी नहीं कराया गया है. इसमें से कुछ ऐसे स्कूल भी है जो काफी फेमस है. ये स्कूल गाजियाबाद में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जाने जाते हैं लेकिन अब तक इन बसों का फिटनेस टेस्ट नहीं कराया गया है, जिसकी वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों की जान को खतरा है. पिछले दिनों एक निजी स्कूल के बच्चे की मौत हो गई थी. वो बस भी अनफिट थी. उसका कोई फिटनेस टेस्ट नहीं हुआ था. बसों की फिटनेस टेस्ट के मामले में एबीपी न्यूज ने जब गाजियाबाद के आरटीओ अरुण कुमार वार्ष्णेय से बात की तो उन्होंने बताया की गाजियाबाद में लगभग 1800 बसें चलती है जिसमें से 750 स्कूल बसें फिट नहीं है. इनका फिटनेस टेस्ट कराया जाएगा. 

 

क्यों नहीं हुआ अब तक फिटनेस टेस्ट

जब हमने सवाल किया कि इन बसों को फिटनेस टेस्ट क्यों नहीं कराया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि पिछले 2 साल से कोरोना की वजह से स्कूल बंद थे. फरवरी 2022 में स्कूल चलना शुरू हुए. स्कूल ऑनलाइन चल रहे थे और बसें बिल्कुल नही चल रही थी. इसलिए सभी गाड़ियां स्कूलों में पार्क थी. वहीं जो बसों का फिटनेस टेस्ट होता है वो 2 साल तक मान्य रहता है. जैसे अगर किसी ने साल 2019 में टेस्ट करवाया तो वो 2021 तक मान्य था. बस चलती रहती है तो उसका फिटनेस टेस्ट होता रहता है. लेकिन बीच में किसी ने फिटनेस टेस्ट नहीं करवाया. केंद्र सरकार ने भी फिटनेस टेस्ट की अवधि बढ़ा दी है. आखिर में अगर किसी गाड़ी की मान्यता मार्च 2020 तक थी तो वह बढ़ कर अक्टूबर 2021 हो गई. बसों की डीम्ड मान्यता बनी रही, हालांकि फिर भी एनसीआर में स्कूल नहीं खुले इस वजह से वो फिटनेस टेस्ट की अवधि और आगे बढ़ गई.

 

अनफिट गाड़ियों पर शुरू हुआ एक्शन

जाहिर है कई स्कूलों में अनफिट गाड़ियां दौड़ रही है जो हादसों को न्योता दे रही है. ऐसे में गाड़ियों के फिटनेस के सवाल पर आरटीओ ने बताया कि 5 प्रवर्तन दलों ने फील्ड में काम करना शुरू कर दिया है. ये अनफिट गाड़ियों को सीज करने का काम कर रहे हैं. इसमें पहले दिन 27 गाड़ियों के खिलाफ एक्शन हुआ, दूसरे दिन 61 गाड़ियों पर एक्शन लिया गया. वहीं अभी स्कूलों के मैनेजमेंट के साथ बात करके उनसे बसों की जानकारी ली जाएगी.

 

बसों के फिटनेस टेस्ट की जिम्मेदारी किसकी?

एबीपी ने जब उनसे सवाल किया कि फिटनेस की जिम्मेदारी किसकी है तो आरटीओ ने कहा कि स्कूल बसों में अनफिट बस चलाने की जिम्मेदार स्कूल की मैनेजमेंट है, क्योंकि गाड़ी जिसकी होती है फिटनेस टेस्ट उन्हे ही करवाना होता है. सड़क सुरक्षा के मामले में गाजियाबाद ऐसा जिला है जहां गाड़ियों की ऑटोमैटिक जांच हो जाती है. ऐसे में स्कूलों की जिम्मेदारी है कि वो अपनी गाड़ी का फिटनेस टेस्ट करवाए, स्कूल ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए स्लॉट ले कर फिटनेस टेस्ट करवाए.

 

बस के फिटनेस की जरूरी बातें

किसी भी बस की फिटनेस के लिए, बस का कलर येलो होना चाहिए जिससे दूर से पता लगे कि वह स्कूल बस है. बस पर स्कूल का नाम पता और नंबर होना चाहिए. इसके साथ गाड़ी में इमरजेंसी डोर होना चाहिए. इसके साथ ही स्कूल बस का जो ड्राइवर हो उसको गाड़ी चलाने में 5 साल का अनुभव होना चाहिए. उसका चरित्र सर्टिफिकेट होना चाहिए और इसकी जिम्मेदारी स्कूल मैनेजमेंट की होती है कि वो किसे ड्राइवर के तौर पर नियुक्त करते है. वहीं अगर पिछले दिनों हुए हादसे की बात की जाए तो उस बस के ड्राइवर के पास 35 साल का अनुभव था. 

 

ये भी पढ़ें-