आखिर किस वजह से गाजियाबाद के DM ने खुद पर लगाई पेनाल्टी, जानें-पूरा माजरा
कलक्ट्रेट में पानी की बर्बादी को देखकर गुस्साए गाजियाबाद के डीएम ने पूरे दफ्तर पर लगाई पेनाल्टी। जुर्माने की लिस्ट में खुद का भी नाम लिखा।
गाजियाबाद, एबीपी गंगा। राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के डीएम ने समाज के समाने एक मिसाल पेश की है। डीएम अजय शंकर पांडेय ने खुद पर ही पेनाल्टी लगाई है और इससे पीछे की वजह पानी की बर्बादी है। देशभर में जल संरक्षण को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच जब गाजियाबाद के डीएम ने कलक्ट्रेट में लगे सरकारी टैंक से पानी की बर्बादी होती देखी, तो डीएम साहब ने न सिर्फ अपनी अधिकारियों बल्कि खुद पर भी पानी की बर्बादी के लिए अर्थदंड यानी पेनाल्टी लगाई।
इसके तहत डीएम ने पानी की बर्बादी के लिए अपने दफ्तर पर 1,0000 रुपए का जुर्माना लगाया और उनके कार्यालय में बैठने वाले 30 अन्य अधिकारियों को भी जुर्माने की रकम भरने के आदेश दिए। जब मंगलवार को डीएम साहब अपने दफ्तर पहुंचे, तो उन्होंने सामने देखा कि टंकी से पानी ओवरफ्लो होकर नीचे गिर रहा है। ये देखकर उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए ‘पश्चाताप शुल्क’ के रूप में 10 हजार की रकम का जुर्माना लगाया। इतना ही नहीं, जुर्माने की ये रकम कलक्ट्रेट में बैठने वाले 30 अन्य अधिकारियों और 100 कर्मचारियों से वसूली जाएगी। डीएम ने आदेश दिए कि पश्चाताप शुल्क के तौर पर कलक्ट्रेट में बैठने वाले 30 अधिकारियों से 100 रुपए और 100 कर्मचारियों से 70 रुपए वसूले जाएंगे और उन्हें पेनाल्टी के रूप में जल संरक्षण विभा में जमा कराया जाएगा।
बता दें कि मंगलवार को सुबह करीब 9:30 बजे डीएम अजय शंकर पांडेय अपने दफ्तर पहुंचे। बताया जा रहा है कि जब डीएम साहब विश्राम कक्ष में थे, तभी उन्हें कहीं से पानी के गिरने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने स्टाफ को बुलाकर पूछा कि पानी कहां गिर रहा है। तो पता चला कि पिछले 10 मिनट से विश्राम कक्ष के पीछे रखी टंकी से पानी बह रहा है। पानी की बर्बादी का पता लगते है डीएम ने खुद व कलक्ट्रेट में बैठने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को आरोपी मानते हुए 10 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। कलक्ट्रेट का मुखिया होने के नाते उन्होंने जुर्माने की सूची में खुद का नाम भी लिखा।
उनके इस कदम की मंगलवार को दिनभर चर्चा रही। इसपर डीएम अजय शंकर पांडेय का कहना है कि जल संरक्षण करना सभी की जिम्मेदारी बनती है। चाहें फिर वो अधिकारी हो या फिर कर्मचारी। पानी की बर्बादी की चलते पश्चाताप शुल्क के तौर पर ये जुर्माना लगाया गया है। ये जुर्माने की रकम सरकारी कोष में जमा करा दी जाएगी। इसका जल संरक्षण में प्रयोग किया जाएगा।
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