Ghaziabad News: गाजियाबाद पुलिस ने बुधवार को कहा कि उसने एक वित्तीय कंपनी और ‘बिल्डर’ द्वारा धोखाधड़ी किये जाने के आरोपों की जांच शुरू कर दी है. प्राथमिकी के अनुसार, पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोपों में ‘इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस’ और डेवलपर ‘एम3एम इंडिया’ के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों सहित 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.


पुलिस उपायुक्त (ट्रांस-हिंडन गाजियाबाद) विवेक चंद्र यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि स्थानीय अदालत के निर्देश के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है लेकिन इस तरह के मामलों में जब कथित धोखाधड़ी की राशि बड़ी होती है, तो मामलों की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) या एसआईटी (विशेष जांच दल) द्वारा की जाती है. मामले को ईओडब्ल्यू या एसआईटी को भेजे जाने की प्रक्रिया जारी है.” 


जानें क्या हैं मामला


‘शिप्रा एस्टेट लिमिटेड’ के एक प्रतिनिधि की शिकायत के बाद नौ अप्रैल को गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी के अनुसार, शिप्रा समूह के प्रतिनिधि अमित वालिया ने दावा किया कि उनके समूह को आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं को पूरा करना था, जिसके लिए ‘इंडियाबुल्स’ ने 2018 में उससे संपर्क किया और 1,939 करोड़ रुपये के ऋण की पेशकश की.


अमित वालिया ने दावा किया कि उनके समूह को केवल 866 करोड़ रुपये प्रदान किए गए और इसके तुरंत बाद 'अवैध रूप से' सात दिनों के अंदर 1,738 करोड़ रुपये चुकाने के लिए कहा गया. उन्होंने दावा किया कि नोएडा के सेक्टर 128 में उनके समूह की 73 एकड़ जमीन पर कब्जा करने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया था.


पिछले साल जुलाई में डीएलएफ समूह ने इस जमीन को ‘एम3एम’ को बेचने के सौदे को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. संपर्क करने पर, गुड़गांव स्थित ‘एम3एम’ ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मामला विचाराधीन है. कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘एम3एम कानून का पालन करने वाली कंपनी है और हम पूरी ईमानदारी साथ अपना कारोबार करते हैं.”


बयान में कहा गया है, 'चूंकि वर्तमान मामला विचाराधीन है, इसलिए हम आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.' ‘इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस’ से तत्काल संपर्क नहीं हो सका है.


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