पेयजल आपूर्ति के लिहाज से रेगिस्तान बन गया है गाजियाबाद का ये इलाका, पढ़ें खबर
गाजियाबाद एतिहासिक शहर है. लेकिन, यहां लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो पा रहा है. पेयजल आपूर्ति के लिहाज यहां कुछ इलाके रेगिस्तान बनते जा रहे हैं.
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Ghaziabad Water Problem: गाजियाबाद देश की राजधानी दिल्ली से सटा हुआ है मगर, दुर्भाग्य है कि पेयजल आपूर्ति के लिहाज यहां कुछ इलाके रेगिस्तान बनते जा रहे हैं. जहां गंगा और यमुना ही नहीं बल्कि हिण्डन जैसी नदियां भी हैं. बावजूद इसके विजय नगर के पुराने मुहल्लों जैसे मोहल्ला भूड़, रामपुरी, सुंदरपुरी और माधोपुरा में पीने के पानी की भारी किल्लत है. यहां से सत्तारूढ़ दल बीजेपी के पार्षद सुनील यादव हैं. सुनील यादव पार्षद होने के साथ-साथ गाजियाबाद नगर निगम के उपाध्यक्ष भी हैं. इसके बावजूद वार्ड नंबर 26 की पेयजल आपूर्ति का हाल बुरा है.
नगर निगम नहीं देता ध्यान
स्थानीय नागरिकों का कहना है पानी का लेवल बहुत ही नीचे चला गया है. बहुत से लोगों ने बड़े-बड़े मोटर पंप भी लगा रखे हैं लेकिन उनकी स्थिति भी खराब है. लोगों का कहना है कि उन्हें पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. शुद्ध पेयजल की स्कीम का लाभ उनको नहीं मिल पा रहा है. लोगों का कहना है कि शिकायत की जाती है लेकिन नगर निगम इस तरफ ध्यान नहीं देता है. स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि ये इलाका निगम उपाध्यक्ष का है मगर हालात ये हैं कि यहां लोग पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं.
जलस्तर काफी नीचे चला गया है
पार्षद और निगम उपाध्यक्ष सुनील यादव का कहना है कि भूड़, भारत नगर ऊंचाई वाला क्षेत्र है. पानी का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. हमने कई मोटर पंप लगाए है, कुछ अभी खराब भी पड़े हैं लेकिन जितना कार्य हमने इस क्षेत्र में कराया है उतना कहीं नहीं हुआ है. इसका एक कारण ये भी है अवैध प्लांट के जरिए भी भूजलस्तर में कमी होती जा रही है. पानी का जलस्तर घटना एक बहुत बड़ी समस्या है. हम इसके निवारण में लगे हैं. सरकार की तरफ से काफी कार्य कराए जा रहे हैं. नगर निगम की तरफ से भी कार्य कराए जा रहे हैं. लोगों की समस्या है, हम उसका निवारण कर रहे हैं.
आखिर कौन है जिम्मेदार
वार्ड के हर मोहल्ले में गलियों के मुहानों पर करोड़ों की लागत से दो-चार नहीं बल्कि करीब 60 बोरबेल निगम ने लगा रखे हैं. सैकड़ों की संख्या में हैंडपंप भी लगे हैं, मगर वाटर लेवल लगातार घट रहा है. हालात ये हैं कि 350 से 400 फिट तक नीचे पानी पहुंच चुका है. महीने-15 दिन चलकर ये खराब हो रहे हैं. ऐसा तो सिर्फ रेगिस्तानी इलाकों में होता है. लेकिन, जरा सोचिए कि जिस शहर में गंगा-यमुना और हिंडन जैसी बड़ी नदियां हों वहां का ये हाल क्यों और कैसे? आखिर कौन है इन हालातों का जिम्मेदार.
लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं
गाजियाबाद जिले का जिक्र अगस्त क्रांति तक में है. देश के सबसे बड़े सूबे को राजस्व देने के मामले में भी टॉप पर रहता है. बावजूद इसके सरकारी मशीनरी को लोगों की बेबसी और लाचारी नजर नहीं आ रही है. एतिहासिक शहर होने के बावजूद लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं हो पा रहा है. इन हालातों के बावजूद पार्षद और निगम उपाध्यक्ष सिर्फ उपलब्धियां ही गिनवा रहे हैं. अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए और इसे रेगिस्तान होने से बचाना चाहिए.
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