UP News: नगर निगम चुनाव (Nagar Nigam Elections) की घोषणा कभी भी हो सकती है ऐसे में टिकट मांगने वालों की कतार लगनी शुरू हो गई है. गाजियाबाद (Ghaziabad) में भी कई बड़े दिग्गज मेयर पद के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. इस बार मेयर की सीट सामान्य हो गई है. इससे पहले महिला के लिए आरक्षित थी जो अनारक्षित हो गई है. इस पर कोई भी दावेदारी ठोक सकता है. गाजियाबाद नगर निगम  की 1995 में स्थापना हुई थी. यहां से बीजेपी के दिनेश चंद गर्ग दो बार मेयर रहे हैं. वही यह सीट शुरू से ही बीजेपी के पास ही रही है. इसलिए दावेदारों की लाइन लंबी लगी हुई है.


बीजेपी की मौजूदा मेयर आशा शर्मा ने भी एक बार फिर से दावेदारी ठोकी है. गाजियाबाद में सांसद और सभी विधायकों को रिपीट किया गया है इसलिए दावेदारी की जा रही है. इस पूरे मुद्दे पर गाजियाबाद नगर निगम मेयर आशा शर्मा से की बात तो उन्होंने कहा, 'मैंने इसलिए दावेदारी दी है क्योंकि गाजियाबाद नगर निगम में बहुत ही काम किए गए हैं. नगर निगम का देश में  367 वां स्थान था, अब 12 वें स्थान पर है, नगर निगम में बहुत विकास किया गया है, जनता ने भी यह देखा है. यह पहले महिला सीट थी, अब यह सीट अनारक्षित हो गई है, महिला शक्ति की बात की जाती है, और काम के बल पर मैंने दावेदारी पेश की है, बाकी पार्टी का नेतृत्व  तय करेगा.'


महिला नेता को टिकट मिलना इसलिए है मुश्किल


उधर, गाजियाबाद में कई पार्षद, पूर्व विधायक और अन्य कार्यकर्ता मेयर चुनाव के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. मेयर आशा शर्मा की दावेदारी को लेकर पश्चिम यूपी की राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रवि अरोड़ा ने कहा कि उनकी बात जायज है. जब विधायक और सांसद रिपीट हो सकते हैं, पहले भी नगर निगम में मेयर रिपीट हुए हैं, लेकिन बीजेपी में जो निर्णय होता है, वह पार्टी का होता है. गाजियाबाद, मुरादाबाद, मेरठ और सहारनपुर में प्रत्याशी का निर्णय पार्टी एक साथ ही लेती है. गाजियाबाद सीट पर महिलाओं की दावेदारी इसलिए कमजोर पड़ रही है क्योंकि मुरादाबाद और सहारनपुर में महिला उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई है. महिलाओं के लिए कई जगह आरक्षित सीट रखी गई है इसलिए कुछ दावेदारी कमजोर पड़ती है.


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