गाजियाबाद: किसान आंदोलन को 104 दिन हो गए हैं. लगातार किसानों के नेता पंचायत कर रहे हैं लेकिन, समस्या का समाधान नहीं निकल रहा है. किसान आंदोलन दिल्ली की सीमा के पास गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहा है. ग्राम पंचायत के चुनाव भी नजदीक आ गए हैं. बहुत से किसान आंदोलन में मौजूद हैं और कुछ ऐसे किसान भी हैं जो ग्राम पंचायत के चुनाव में दावेदारी ठोक रहे हैं.


अहम हो गया है किसानों का मुद्दा
गाजीपुर बॉर्डर पर एबीपी गंगा की टीम ने उन किसानों से बात की जो ग्राम पंचायत के चुनाव में प्रधानी पद के लिए चुनाव लड़ने वाले हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों का मुद्दा भी अहम हो गया है. बिजनौर के एक किसान ने बातचीत के दौरान बताया कि वो आंदोलन में 91 दिन से सक्रिय हैं. गांव में चुनाव की तैयारी चल रही है, लेकिन ज्यादा तैयारी यहीं से होगी. उन्होंने कहा कि वो संगठन के लोग हैं, ऐसे में चुनाव की तैयारी पूरी है.


संघर्ष से ही कहानी लिखी जाती है
गाजियाबाद के मोदीनगर के किसान से बात की गई उन्होंने कहा कि आंदोलन से फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया कि लगातार वो किसान आंदोलन में सक्रिय हैं. अब चुनाव है तो सभी का प्यार मिल रहा है. संघर्ष से ही कहानी लिखी जाती है, तो हम संघर्ष कर रहे हैं. अब चुनाव में लड़ रहे हैं, आंदोलन में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं.


लोगों का मिल रहा है प्यार
रामपुर के किसान गुरप्रीत अटवाल से बात करने पर उन्होंने बताया कि उनके पिताजी इस आंदोलन में सक्रिय हैं. 32 वर्षों से किसान यूनियन में हैं. कभी भी कोई चुनाव नहीं लड़ा. रामपुर जिले में नवावगंज गांव है, वहीं के लोगों का प्यार मिल रहा है. पिताजी को ग्राम प्रधान के लिए चुनाव लड़ाने के लिए लोगों ने बोला है और मुझे जिला पंचायत चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाने की मांग की है. हमें आशीर्वाद मिला है और हम अब चुनाव हम लड़ेंगे.


चुनाव की तैयारी
रामपुर के ही भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष हासिम अहमद ने बताया 70 प्रतिशत लोग चुनाव की तैयारी में लगे हैं. ये किसानों का ही चुनाव है किसी पार्टी का नहीं. ऐसे में जमीन तो कोई नहीं तलाश रहा है लेकिन ग्राम पंचायत चुनाव किसानों का ही होता है तो लोग चुनाव की तैयारी में जरूर लगे हैं.


चुनाव क्यों ना लड़ें
एबीपी गंगा की टीम ने किसान आंदोलन के जरिए ये जानने कि कोशिश की है कि ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर कहीं राजनीति तो नहीं तलाशी जा रही है. लेकिन, लोगों का यही कहना है, ये राजनीति नहीं है, हम तो आंदोलन में लगे हैं. जनता अगर कह रही है, संगठन के लोग कह रहे है, तो ऐसे में चुनाव क्यों ना लड़ें.


आंदोलन में समय दे रहे हैं लोग
ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि वैसे ये राजनीति के नहीं ग्राम के चुनाव हैं. अगर लोग तैयारी कर रहे हैं तो लड़ना चाहिए. लोग आते हैं मिलकर जाते है. फिलहाल पंचायत चुनाव में लगे हैं. इसके लिए तैयारी चल रही है. अपना समय लोग यहां भी दे रहे हैं.


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