UP News: गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है जो ऑन डिमांड लग्जरी गाड़ियों की चोरी करते और बेचते थे. इस गिरोह की खास बात ये थी कि आठवीं फेल होने के बावजूद इस गैंग के सदस्य हाईटेक लॉक और ट्रेकिंग डिवाइस को भी खुर्द-बुर्द कर देते थे. यदि आप महंगी लग्जरी गाड़ियां खरीदकर ये सोच रहे हैं कि उसमें लगे हाईटेक लॉक और ट्रेकिंग डिवाइस आपकी गाड़ी को महफूज रख सकती हैं, तो इस गलतफहमी को न पालें.
गाजियाबाद पुलिस की हिरासत में खड़े ये दो शातिर ऐसे ही एक गिरोह के सदस्य हैं, जिनके लिए हाईटेक लॉक और ट्रेकिंग डिवाइस को मिनटों में बेकार करके गाड़ी चोरी करने का महारथ हासिल है. सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि इस गिरोह के सदस्य महज आठवीं पास हैं.
दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों से करते थे चोरी
दरअसल पुलिस के हत्थे चढ़े इन शातिर चोरों के कब्जे से पुलिस ने आठ लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं. ये सभी गाड़ियां इन शातिरों ने दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों से चोरी की थीं. बरामद गाड़ियों को इन शातिरों ने गाजियाबाद के ही इंदिरापुरम जैसे पॉश इलाके के एक गोदाम में छिपाकर रखा था. यहीं से ये ऑन डिमांड महंगी गाड़ियों की चोरी और बिक्री का धंधा संचालित करते थे. चोरी होने के बाद गाड़ी ट्रेस न हो इसके लिए ये लोग बाकायदा जैमर का भी इस्तेमाल करते थे.
जाहिर है कि लोग महंगी और लग्जरी गाड़ियां इसलिए खरीदते हैं, ताकि उनमें लगे हाइटेक इक्यूप्मेंट और अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरण उनकी गाड़ियों को महफूज रखते हैं. मगर इस गैंग के पकड़े जाने के बाद हुए खुलासे ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मोटा पैसा खर्च करने के बावजूद चोरों की नजर से अपनी महंगी गाड़ियों को हम बचाएं तो कैसे?
गाड़ी में रखते थे जैमर डिवाइस
ये एक इंटर स्टेट गैंग है और ये ज्यादातर दिल्ली- एनसीआर में सक्रिय थे. ये जो आजकल की गाड़ियां हैं जो वायरलेस चाबी से खुलते हैं, उस वायरलेस फ्रीक्वेंसी को ये लोग स्कैन करते थे और उसके बाद ये हर एक गाड़ी की एक यूनीक फ्रिक्वेन्सी होती है. उस यूनिक फ्रीक्वेंसी को स्कैन करके कॉपी करते थे और उसकी डुप्लीकेट चाबी बनाकर तत्काल उस पर चाबी यूज करके गाड़ी खोलते थे और गाड़ी स्टार्ट करते ही गाड़ी में जैमर डिवाइस रखते थे. जिससे उसका जीपीएस काम न कर सके उसके बाद दूर ले जाकर उसका नंबर प्लेट बदलकर कहीं जाकर छिपा देते थे. फिर बाद में उस गाड़ी को ग्राहकों को दो से ढाई लाख में बेच देते थे, मात्र 15 से 20 मिनट में वो गाड़ी चोरी कर लेते थे, अब तक इस पूरे गिरोह के 9 सदस्य प्रकाश में आए हैं. जिसमें से चार पहले ही जेल जा चुके हैं, दो अभी जा रहे है और दो अभी वॉन्टेड हैं.
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